Cough Syrup Case: पूरी दुनिया भर में भारतीय दवाओं की गुणवत्ता पर उठाए गए सवाल के बाद भारत सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। बीते साल भारतीय फार्मास्यूटिकल फर्मों द्वारा निर्यात किए जाने वाले खांसी के सिरप (Cough Syrup Case) पर दुनिया भर में सवाल उठाए गए थे। ऐसे में केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि विदेश में कफ सिरप भेजने से पहले सरकारी प्रयोगशाला (लैब) में उसकी गुणवत्ता की जांच की जायेगी। जांच में सफलता मिलने के बाद ही उक्त कंपनी अपने बैच का निर्यात कर सकती है।
भारत सरकार का ये कदम काफी अहम (Cough Syrup Case)
ड्रग रेगुलेटरी अथार्टी, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दवाओं का निर्यात करने से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में तैयार दवा उत्पादों का परीक्षण करने का प्रस्ताव दिया है। दुनिया में दवा हब के रूप में उभर रहे भारत की कफ सिरप को लेकर किरकिरी के मद्देनजर भारत सरकार के द्वारा उठाया गया यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
बीते साल गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत की पुष्टि
बीते साल गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत होने की सूचना दी गई। हालांकि, केंद्र सरकार ने जांच के बाद सिरप और बच्चों की मौत के बीच संबंध मिलने से इन्कार किया। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उज्बेकिस्तान में 19 बच्चों की मौत के पीछे भारत की अन्य कंपनी के कफ सिरप को बताया। भारतीय फर्मों द्वारा निर्मित और निर्यात किए गए कफ सीरप विदेश में गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण में विफल भी रहे थे।
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बीते 15 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि दवा उद्योग के बारे में महत्वपूर्ण बातों को अनदेखा किया गया। इसमें यह भी कहा है कि इसे लेकर नीति में बदलाव पर विचार किया है। खबर है कि नीतियों में बदलाव के जरिए सरकार भारत के 41 अरब डॉलर वाले फार्मास्युटिकल उद्योग की निगरानी को बढ़ा सकता है।