गाजियाबाद। अब राज्यभर के सरकारी अस्पतालों को दवाइयों की खरीद के लिए बजट की बाट नहीं देखनी पड़ेगी। उन्हें शासन स्तर से ही दवाइयां सप्लाई की जाएंगी। जिला लेवल पर दवा खरीद में होने वाली धांधली पर रोक लगाने और दवाइयों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए यह कवायद की जा रही है। जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. जे.के. त्यागी के अनुसार शासन स्तर से दवाओं की खरीद की व्यवस्था में कुछ बदलाव हो रहा है। अब पूरे प्रदेश के अस्पतालों के लिए शासन स्तर से ही दवाएं खरीदी जाएंगी। यह व्यवस्था इसी महीने में लागू होनी है। उधर, पिछले काफी समय से बजट के इंतजार में बैठे गाजियाबाद के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का संकट खड़ा हो गया है। कई जरूरी दवाएं खत्म होने से मरीजों को अस्पताल से खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है। एमएमजी, कंबाइंड और जिला महिला अस्पताल को पिछले सात महीनों से दवाओं का बजट जारी नहीं किया गया है। इसके चलते अस्पतालों पर दवा कंपनियों का करोड़ों रुपए उधार हो गया है। दवा सप्लाई करने वाली कंपनियों ने भी अब दवा भेजने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
गौरतलब है कि शासन स्तर से अस्पतालों को हर 3 महीने में बजट जारी किया जाता है। इस बजट से अस्पतालों में मरीजों के लिए दवाओं से लेकर अन्य जरूरी सुविधाएं जुटाई जाती हैं। पिछले साल शासन ने एक बार ही अस्पतालों के नाम पर बजट जारी किया था। नया साल शुरू होने के करीब एक माह बाद भी शासन ने अस्पतालों को दवाओं का बजट जारी नहीं किया है। अस्पतालों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि देनदारी अब करोड़ों रुपए में पहुंच गई है। इस संबंध में लगातार शासन को लिखा जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। कंबाइंड अस्पताल के सीएमएस डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि इस साल हमें बजट के रूप में अभी तक कुछ भी नहीं मिला है। जबकि पिछले साल की भी काफी रकम बकाया है। अस्पताल में दवाओं की कमी को फिलहाल किसी तरह से पूरा किया जा रहा है। अगर जल्द ही बजट नहीं मिला तो दिक्कत बढ़ सकती है।