नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से बात की और भारत को वैक्सीन आपूर्ति का आश्वासन देने के लिए अमेरिका की सराहना की। अमेरिका ने वैश्विक टीका साझेदारी के तहत भारत को भी वैक्सीन देने का अश्वासन दिया है। इसके तहत भारत को इस माह के अंत तक वैक्सीन की खेप मिलने की उम्मीद है। एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री ने अमेरिकी सरकार, कारोबारियों और प्रवासी भारतीयों से मिले सहयोग और एकजुटता के लिए भी कमला हैरिस का शुक्रिया अदा किया।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, भारत-अमेरिका के बीच टीका साझेदारी को और मजबूत करने के लिए जारी प्रयासों तथा कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य व आर्थिक क्षेत्र के सुधार में योगदान देने की दोनों देशों की साझेदारी की संभावनाओं पर भी हमने चर्चा की। अमेरिकी दूतावास ने भी हैरिस के वरिष्ठ सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता का बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी समेत चार देशों के नेताओं के साथ उनकी बातचीत का जिक्र किया। इस बातचीत में इस माह के अंत तक भारत और अन्य देशों को वैक्सीन आपूर्ति की योजना पर चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक स्वास्थ्य स्थिति के सामान्य होने के तुरंत बाद भारत में अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैरिस के स्वागत की उम्मीद जताई है। नेताओं ने वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में अमेरिका और भारत सहित स्वास्थ्य आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए चल रहे प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने महामारी के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव को संबोधित करने में क्वाड के तहत भारत-अमेरिका साझेदारी के साथ-साथ वैक्सीन पहल की क्षमता पर प्रकाश डाला। ·

पिछले दिनों अमेरिकी दौरे के अंत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि कोरोना को लेकर कई मोर्चो पर दोनों देशों के बीच सहयोग की राह खुलेगी। जयशंकर ने कहा, कोशिश है कि अमेरिका की मदद से भारत में वैक्सीन निर्माण का काम तेज किया जाए। वैक्सीन निर्माण को लेकर अमेरिका से भारत की एक तो सीधे तौर पर बात हो रही है और दूसरा क्वाड के तहत निर्माण को लेकर भी अलग से बात हो रही है।

जयशंकर ने इसे द्विपक्षीय वार्ताओं का सबसे महत्वपूर्ण विषय करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक वैक्सीन निर्माण बढ़ाने का सवाल है तो यह अमेरिका से जुड़ा हुआ है। इसको उन्होंने स्पष्ट तो नहीं किया, लेकिन संभवत: उनका इशारा अमेरिका से कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर था।