अजमेर। अब अल्ट्रासाउंड उपकरण खरीदने और बेचने के लिए भी लाइसेंस लेना होगा। दरअसल, सरकार ने डॉप्लर, इको कार्डियोग्राफी व सोनोग्राफी मशीन को दवा में शामिल कर लिया है। सरकारी व निजी अस्पतालों में जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली इन मशीनों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के सेक्शन 3 के तहत दवा में शामिल किया गया है। इसके चलते अब निर्माता कंपनियों को खरीद और बिक्री के लिए औषधि विभाग से लाइसेंस लेना पड़ेगा। औषधि विभाग को मॉनिटरिंग करने के साथ गड़बड़ी पर भी अंकुश लगाना पड़ेगा। ड्रग टेक्निकल एडवायजरी बोर्ड नई दिल्ली के सदस्यों ने अल्ट्रासाउंड उपकरणों को दवा में शामिल करने की सिफारिश के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया है।
गौरतलब है कि औषधि विभाग अब मेडिकल स्टोर की तरह ही सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल, जिला अस्पताल, उप जिला व सैटेलाइट अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड उपकरणों पर भी नजर रखेगा। मरीज की किसी तरह की शिकायत मिलने पर कार्यवाही भी करेगा। अस्पतालों में जांच किए जाने वाले मरीज का नाम, पता, मोबाइल नंबर, बीमारी का नाम व रिपोर्ट रखना अनिवार्य होगा। अब तक अल्ट्रासाउंड उपकरण जैसे सोनोग्राफी, कलर डॉप्लर व इको कार्डियोग्राफी मशीनों के लिए प्रत्येक जिले के सीएमएचओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी था।
अब सीएमएचओ के साथ अब औषधि विभाग में निर्माता कंपनियों को मशीनों का लाइसेंस लेना पड़ेगा। जांच की मशीनों के लिए अस्पताल प्रशासन को सूचना देनी होगी। देशभर में सोनोग्राफी मशीनों के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत पंजीयन करवाना पड़ता है।