बेंगलुरु : भारतीय विज्ञान संस्थान के शोध से यह खुलासा हुआ है कि अस्थमा की एक दवा कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को रोकने में कारगर साबित हुई है।

आईआईएससी ने विज्ञप्ति में कहा कि मोंटल्यूकास्ट नाम की दमे की दवा पिछले 20 साल से बाजार में है। इसका इस्तेमाल दमा, हे फीवर और हाइव्स से ग्रसित मरीज करते हैं। यह अमेरिका के एफडीए से अनुमोदित दवा है।

शोधकर्ताओं ने एफडीए से अनुमोदित 1,600 दवाओं की स्क्रीनिंग की थी ताकि एनएसपी1 से तेज जुड़ने वाली दवा का पता लगाया जा सके।
आईआईएससी का यह शोध ईलाइफ में प्रकाशित हुआ है। शोध के दौरान पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस के प्रोटीन एनएसपी1 के एक अंतिम सिरे यानी ‘सी टर्मिनल’ से मजबूती से जुड़ जाती है।

यह उन पहले वायरल प्रोटीन में से एक है, जो मानव शरीर में प्रवेश करती है। यह प्रोटीन राइबोजोम से जुड़ सकता है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के भीतर होती है और वायरल प्रोटीन की सिंथेसिस को बंद कर सकता है।

इसकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इसी वजह से एनएसपी1 को लक्षित करने से वायरस के कारण होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है।

उन्होंने इस तरीके से 12 दवाओं को शॉर्टलिस्ट किया, जिनमें से मोंटल्यूकास्ट और एचआईवी की दवा साक्वि नाविर भी शामिल है।