भदोही (उत्तर प्रदेश): जीएसटी लागू हुए दो महीने पूरे होने को हैं लेकिन जिला अस्पताल और मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में अभी तक दवा खरीदारी के लिए जीएसटी का पंजीकरण नहीं हुआ। अस्थायी जीएसटी नंबर के सहारे दवा खरीदारी हो रही है। कदम-कदम पर ऐसी लापरवाही सामने आ रही है जिसे देखकर कहना अनुचित न होगा कि सरकार के प्रयासों को पलीता लगाने से चिकित्सा अधिकारी और चिकित्सक बाज नहीं आ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, भंडारण निदेशक ने अस्थायी जीएसटी नंबर उपलब्ध करावाया हुआ है। जरूरी दवाओं की खरीदारी इसी अस्थायी जीएसटी नंबर से की जा रही है। हालांकि विभाग दावा कर रहा है कि अतिशीघ्र स्थायी जीएसटी पंजीकरण हो जाएगा। भदोही के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सतीश सिंह भी मानते हैं कि इस समय कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में दवा की कमी है। जीएसटी पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है, शीघ्र पंजीकरण हो जाएगा।

बेशक अभी यहां अस्पतालों पर ऐसा संकट नहीं आया कि जिससे दवाओं की किल्लत उजागर हो लेकिन यह सच्चाई है कि जीएसटी का पंजीकरण नहीं होने से दवाओं की खरीद प्रभावित हो रही है। जिले में इस वक्त संक्रामक बीमारियों का प्रकोप है। उल्टी, दस्त, वायरल फीवर, टाइफाइड, मलेरिया बुखार से पीडि़त लोगों की संख्या बढ़ रही है। पैरासिटामाल, मेट्रोजिल, सेप्रो, ओआरएस, उल्टी की गोली यहां तक कि खांसी-जुकाम की दवा मिलने में भी दिक्कत आने लगी है। कई दवाएं तो अस्पतालों में उपलब्ध ही नहीं है। एमसीआई की रोक बावजूद चिकित्सक धड़ल्ले से बाहर की दवा लिख रहे हैं। जिला अस्पताल ज्ञानपुर, महाराजा बलंवत सिंह राजकीय चिकित्सालय भदोही के अलावा पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 160 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। लेकिन सरकारी सिस्टम में खामियों के चलते मजबूरन मरीज निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।