नई दिल्ली। अमेरिका में इस समय एक ऐसी बीमारी फैल रही है, जिस पर दवाओं का कोई असर नहीं हो रहा है। यह एक तरह का फंगल संक्रमण है, जिसकी वजह से दो शहरों के अस्पतालों में लोग भर्ती हो रहे हैं। या फिर भर्ती हैं। सेंटर्स फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक इस फंगल संक्रमण से पीड़ित लोगों को लंबे समय तक इलाज कराना होगा। डॉक्टर परेशान हैं कि इस संक्रमण पर एंटीफंगल दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है।


सीडीसी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉशिंगटन डीसी में इस संक्रमण के जनवरी से अप्रैल तक 101 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं टेक्सास में इसी समय में 22 केस सामने आए थे। कुल मिलाकर 123 केस आए, जिनमें से 30 फीसदी लोगों की मौत हो गई। वॉशिंगटन और टेक्सास के अस्पतालों में जो लोग इस संक्रमण से पीड़ित थे। उस बीमारी का नाम है कैंडिडा ऑरिस। इस फंगल इंफेक्शन पर किसी भी तरह की एंटीफंगल दवाओं का असर नहीं हो रहा है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कैंडिडा ऑरिस की वजह से ही ये लोग मरे हैं, इस बात को पुख्ता करना मुश्किल हो रहा है।

कैंडिडा ऑरिस एक नया पनपता हुआ कवक है। इसे सबसे पहले जापान के डॉक्टरों ने साल 2009 में खोजा था। लेकिन शोध में पता चला कि उसी समय यह फंगस पाकिस्तान, भारत, दक्षिण अफ्रीका और वेनेजुएला में भी दर्ज किया गया। इस फंगस के संक्रमण की वजह से खून की नसों में, घावों के आसपास और कान में इंफेक्शन होने लगता है, जो गंभीर अवस्था में पहुंचने पर जान भी ले सकता है।

कैंडिडा ऑरिस उन लोगों को संक्रमित कर रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। खासतौर से वो लोग जो अस्पतालों में किसी बीमारी के इलाज के लिए भर्ती हैं। हाल ही में ब्राजील में भी कोविड-19 से संक्रमित कुछ लोगों में कैंडिडा ऑरिस की शिकायत पाई गई। सीडीसी ने इस दवारोधी फंगल इंफेक्शन को सेहत के लिए गंभीर वैश्विक खतरा बताया है।

जब इस पर किसी तरह की एंटीफंगल दवा का असर नहीं हो रहा है, इसलिए इसे सुपरबग फंगस कहा जा रहा है। लेकिन इस फंगस के तीन स्ट्रेन ऐसे हैं जो बेहद सख्त हैं। इन्हें पैन-रेसिसटेंस कहा जा रहा है। कैंडिडा ऑरिस का पैन-रेसिसटेंस स्ट्रेन अमेरिका में पहले भी मिला है। लेकिन तीन पैन-रेसिसटेंस कैंडिडा ऑरिस के स्ट्रेन का समूह अमेरिका के अस्पतालों में ही फैला है। हालांकि वॉशिंगटन और टेक्सास में आए मामलों में कोई आपसी संबंध नहीं है।

सीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में यह नहीं बताया है कि किन अस्पतालों में यह संक्रमण देखने को मिला है। न ही ये बताया है कि अचानक से कैंडिडा ऑरिस के पनपने की वजह क्या है। हालांकि, ये बात तो पुख्ता तौर पर कही जा रही है कि कोविड-19 की वजह से दुनिया में कई ड्रग-रेसिसटेंट बैक्टीरिया और फंगस पैदा हो गए हैं। या यूं कहें कि ये कोविड-19 से संक्रमित कमजोर इम्यूनिटी वाले शख्स में ये सक्रिय होकर बीमार कर रहे हैं।

सीडीसी ने कहा है कि यह बता पाना फिलहाल मुश्किल है कि कैंडिडा ऑरिस के अचानक बढ़ने की वजह क्या है. लेकिन कुछ आइडिया निकाले गए हैं- पहला ये कि अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, इसलिए उन्हें इस तरह की बीमारियों और संक्रमण से जूझना पड़ रहा है। लगातार एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं के उपयोग से ये बैक्टीरिया और फंगस अब दवारोधी होते जा रहे हैं।

दूसरा- जिन लोगों को कोरोना महामारी के दौरान वेंटीलेटर पर रखा गया था, उन्हें इस तरह के संक्रमण होने की आशंका ज्यादा है। क्योंकि उनकी इम्यूनिटी पूरी तरह से कमजोर हो चुकी होती है। ऑक्सीजन सप्लाई के जरिए ऐसे फंगस और बैक्टीरिया इंसान को संक्रमित कर सकते हैं।

कैंडिडा ऑरिस के होने की वजह कुछ भी हो लेकिन सीडीसी की माने तो ऐसे बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनप रहे हैं, जिनपर दवाओं का असर नहीं होता। दुनियाभर के कई वैज्ञानिक इस बात को मान रहे हैं कि भविष्य में कैंडिडा ऑरिस बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है। ये दशकों तक लोगों को परेशान करने की क्षमता रखती है। इसलिए इसकी दवा खोजने की तैयारी अभी से कर लेनी चाहिए।