हल्द्वानी। आइवरमेक्टिन पर रोक के बावजूद उत्तराखंड में कोरोना से निपटने के लिए इस दवा को घर -घर पहुंचाया गया। जिसका उल्टा असर भी देखने को मिला है। बता दें कि जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण के नियंत्रण के लिए घर-घर आइवरमैक्टिन बांटी थी। हालांकि दवाइयां लेने का तरीका भी बताया था, लेकिन गांव-गांव में लोगों को दवा के सेवन के बारे में सही जानकारी नहीं हो सकी। कुछ बच्चों को उनेक अभिभावकों ने ज्यादा दवा खिला दी थी तो कुछ मामलों में बच्चों ने घर पर रखी दवा का ज्यादा सेवन कर लिया। जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस दवा के सेवन पर रोक लगाई थी, लेकिन अभी तक लिखित निर्देश नहीं मिलने पर यह दवा बांटी जा रही है।
एसीएमओ डा. रश्मित पंत ने बताया कि दवा बांटने के साथ ही दवा के सेवन के बारे में बताया गया है। 15 साल से ऊपर के लोगों को सुबह-शाम एक-एक गोली का सेवन करना है। जबकि 10 से 14 साल तक के बच्चों को केवल एक गोली लेनी है। नौ से पांच साल तक के बच्चे डाक्टर की सलाह पर ही दवा लेंगे और पांच साल से नीचे के बच्चे को यह दवा नहीं दी जानी है। गर्भवती, स्तनपान करने वाली महिलाओं को भी यह दवा नहीं लेनी है।
डा. नूतन सिंह, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग, एसटीएच ने बताया कि आइवरमैक्टिन के ओवरडोज वाले बच्चे अस्पताल में आ रहे हैं। अब तक पांच बच्चे आ चुके हैं। कुछ बच्चे बेहोशी की अवस्था में पहुंचे थे। हालांकि चार बच्चे स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। अभी एक बच्चे का इलाज चल रहा है। उसकी हालत में सुधार हो रहा है। ऐसे में घर के सदस्यों को ध्यान रखना है कि दवा को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। कुछ बच्चों में इलाज से देरी पर अधिक नुकसान भी हो सकता है।
डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में आइवरमैक्टिन की ओवरडोज वाले बच्चे पहुंच रहे हैं। पिछले 15 दिन में पांच बच्चे इलाज के लिए पहुंचे हैं । इसमें से भिकियासैंण का चार वर्षीय बच्चा अभी भी अस्पताल में भर्ती है। बाल रोग विशेषज्ञ ने लोगों से बच्चों को सही डोज देने और बच्चों की पहुंच से दवाइयों को दूर रखने की सलाह दी है। बता दें कि दवा की ओवरडोज लेने के बाद बच्चों में दौरा पड़ना, बेहोशी और उल्टी होने की शिकायतें बताई जा रही हैं। पांच बच्चों में से चार काे डिस्चार्ज किया जा चुका है। प्रतिबंध के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने दवा को क्यों बांटा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।