नई दिल्ली। इंसान में आत्महत्या की प्रवृत्ति गहरे डिप्रेशन की स्थिति में देखी जाती है। बाइपोलर डिसऑर्डर, शिजोफ्रेनिया, बड़ा मानसिक आघात, बचपन की कोई उथल-पुथल अथवा कोई आनुवंशिक बीमारी भी इसकी वजह बन जाती है। साइकायट्री (मनोचिकित्सा) की दृष्टि से ये एक-दूसरे से काफी दूर की समस्याएं हैं और इनका लाइन ऑफ ट्रीटमेंट भी बहुत अलग है। बड़ी परेशानी यह है कि सभी इलाज के बावजूद मरीज की आत्महत्या की प्रवृत्ति अपने स्थान पर बनी रह जाती है। इस प्रवृत्ति से छुटकारा पाने की राह में कुछ रोशनी नजर आई है। अमेरिका में इसके इलाज की दवा ईजाद की गई है और जल्द ही यह दवा बाजार में आने वाली है। गौरतलब है कि अमेरिका जैसे विकसित देश में आत्महत्या महामारी जैसा रूप ले चुकी है। 1999 से 2016 के दौरान खुदकुशी के मामलों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बाजार में लाई जा रही यह दवा खतरनाक पार्टी ड्रग कीटामाइन के करीबी रसायन एस्केटामाइन के बहुत ही हल्के डोज पर आधारित है।