कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर की जल्द पहचान में मिलेगी मदद।
अगस्त में 15 दिवसीय पाठ्यक्रम में पढ़ाएंगे एम्स डॉक्टर।
नई दिल्ली। कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों में जानलेवा रोग कैंसर की जल्द पहचान करने और उसकी रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) से जुड़े आयुर्वेद के डॉक्टरों की मदद ली जाएगी। इसके लिए एम्स ने हर साल कैंसर का समर पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है। अगस्त माह में शुरू होने वाले 15 दिवसीय समर पाठ्यक्रम में आयुर्वेद के 150 डॉक्टरों को एम्स के डॉक्टर कैंसर संबंधी ट्रेनिंग देंगे। इस संबंध में एम्स के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) और आयुष मंत्रालय के बीच समझौते हो चुका है।
आयुर्वेद के डॉक्टरों को ट्रेनिंग के लिए एम्स भेजने की जिम्मेदारी एआईआईए (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद) की होगी। एम्स के प्रिवेंटिव ऑंकोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर ने बताया कि कैंसर की रोकथाम के लिए समुदाय के बीच काम करने वाले डॉक्टरों को ट्रेनिंग देना जरूरी है। छोटे शहरों व गांवों में बीमार होने पर मरीज सबसे पहले नजदीक के डॉक्टरों के पास ही जाते हैं। इन डॉक्टरों को कैंसर का ज्ञान नहीं होने से बीमारी जल्दी पकड़ में नहीं आती। यही वजह है कि देश में कैंसर के करीब 80 फीसद मरीज एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसलिए समर पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है।