नई दिल्ली। राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस को लेकर सुबह राजधानी की सडक़ों पर आयुर्वेद डॉक्टरों के साथ इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों ने दौड़ लगाई। जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम से शुरू हुई यह मैराथन इंडिया गेट होते हुए स्टेडियम पर समाप्त हुई। इसे केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने हरी झंडी दिखाई। इस मैराथन का उद्देश्य आयुर्वेद की अहमियत बताना था।
उन्होंने कहा कि हाल ही में सीएसआईआर और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के बीजीआर-34, नीरी केएफ्टी और ल्यूकोस्किन के रूप में शोध ने दुनिया में नया मुकाम हासिल किया है। मंत्रालय की ओर से भी विदेशों में आयुर्वेदिक चिकित्सा और दवाओं को मान्यता दिलाने की पहल शुरू हुई है। अभी नौ देशों में इसे लेकर प्रक्रिया शुरू की गई है, जिनमें स्विटरजरलैंड, आस्ट्रेलिया, यूएई, कोलंबिया, हंगरी, क्यूबा, न्यूजीलैंड आदि शामिल है। इनमें से कई देशों में भारतीय चिकित्सकों को टेस्ट पास करना जरूरी होता है। कुछ देशों में अलग से एड ऑन कोर्स करना होता है। मंत्री नाईक ने यह भी बताया कि सरकार ने अब तक नौ देशों के साथ एमओयू किए हैं। जल्दी ही 45 देशों के साथ करार होने वाला है। कार्यक्रम के आयोजकों में शामिल वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा और एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने बताया कि मैराथन में आयुर्वेद डॉक्टरों के अलावा इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों ने सहभागिता की। आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की मदद से आयुर्वेद दवाओं के लिए मानक तय करने के बाद इन्हें हर देश में पंजीकृत कराया जाएगा। इसके बाद यह पोषक पदार्थ के रूप में नहीं बल्कि दवा के रूप में बिकेंगी।