जोधपुर। राज्य मानवाधिकार आयोग ने जोधपुर उपभोक्ता होलसेल सहकारी भण्डार के दवा काउंटरों पर हो रहे गबन-घोटालों को गंभीरता से लेते हुए जिले में स्थित सभी 42 दवा काउंटरों का 10 साल का लेखा-जोखा मांगा है। भण्डार प्रशासक को दस साल में किए गए भौतिक सत्यापन, फार्मासिस्टों पर की गई कार्यवाही, गबन के प्रकरण, दवाएं और चिकित्सकीय सामान की कमी और दवाइयों को खुर्दबुर्द करने सम्बंधी रिपोर्ट 12 जून तक आयोग कार्यालय में देनी होगी।
गौरतलब है कि रेलवे स्टेशन स्थित राजीव गांधी सहकारी भवन में संचालित जोधपुर उपभोक्ता होलसेल सहकारी भण्डार के 42 मेडिकल स्टोर और 9 सुपर मार्केट में इस साल हुए भौतिक सत्यापन में 40 लाख की दवाइयां और किराणा कम मिला। पिछले दस वर्षों से यहां मेडिकल स्टोर व सुपर मार्केट के भौतिक सत्यापन में फर्जीवाड़ा हो रहा था। इंस्पेक्टर दवाइयों की दुकानों पर जाते और जो भी स्टॉक फार्मासिस्ट दिखाते, उस पर साइन कर देते थे। भण्डार इंस्पेक्टरों को अपनी ओर से न स्टॉक सूची उपलब्ध करवाता था और न ही लायबिलिटी सूची।
गबन की जानकारी केवल ऑडिट रिपोर्ट में ही सामने आती थी। इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रकाश टाटिया ने बताया कि सहकारी भण्डार के प्रशासक से मेडिकल स्टोर पर पिछले दस सालों से दवाइयों की कमी, भौतिक सत्यापन, फार्मासिस्टों के विरुद्ध की गई कार्यवाही सहित विभिन्न मुद्दों पर रिपोर्ट मांगी गई है। यह गंभीर बात है कि मरीजों को दवाइयां नहीं मिलती और भण्डार के दवा स्टोर पर गड़बडिय़ां होती हंै। सहकारी भण्डार में सात साल में 2.37 करोड़ का गबन दर्ज हुआ। यह गबन 42 मेडिकल स्टोर के फार्मासिस्टों और 9 किराणा काउंटरों के सेल्समैनों ने किया। अधिकारियों ने सहकारिता एक्ट की गबन की धारा-57 में 49 मुकदमे दर्ज किए, लेकिन अधिकांश आरोपी बरी हो गए।