बिलासपुर। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में मुख्यमंत्री सस्ती दवा दुकानें खुलेंगी। गौरतलब है कि भारत दुनिया में जेनेरिक दवा बनाने वाला संबसे बढ़ा निर्माता और निर्यातक देश है। बडी निर्माता एवं निर्यात्तक देश है। पूरे विश्व में भारत में निर्मित जेनेरिक दवाइयों का विक्रय किया जा रहा है। बता दें कि जो दुकाने खोली जाएंगी उन दुकानों में सिर्फ जेनेरिक दवाइयां बेची जाएंगी। दुकानों के संचालन के लिए जिला स्तर पर अर्बन पब्लिक सर्विस सोसायटी का गठन होगा। इस समिति में कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त , नगर पालिका परिषद-नगर पंचायत के मुख्य नगर पालिका अधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, वनमंडाधिकारी, आरटीओ, समेत अन्य विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे। प्रदेश शासन ने सभी कलेक्टरों , नगर निगम आयुक्तों, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को सोसाइटी का गठन करने औश्र दुकान खोलने कीप्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी किए हैं।
दरअसल वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 219 अनऔषधि केन्द्र संचालित है, जिनमें से अधिकांश दुकानें शासकीय चिकित्सालय, सामुदायिक , प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और कुछ दुकानें निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित की जा रही है। छत्तीसगढ़ शासन ने भी शासकीय चिकित्सकों को जेनेरिक दवाइयां लिखने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री सस्ती दवा दुकान योजना के संचालन के लिए राज्य शासन ने प्रत्येक जिले में जिला अरबन पब्लिक सर्विस सोसायटी (यूपीएसएस) का गठन करने का आदेश दिया है। समिति का रजिस्ट्रेशन रजिस्ट्रेशन संबंधित जिलों के कलेक्टर तत्काल करेंगे। पूर्व की सोसायटी द्वारा क्रियन्वित योजनाओं के दायित्वों, लेनदारियों, देनदारियों का किसी चार्टेड एकाउंटे फर्म, ऑडिट फर्म या वित्तीय संस्थान के सहयोग से कराया जाएगा। पंजीयनप के बाद साधारण सभा की तत्काल आयोजित कर योजना को शुरू करने नगरीय निकायों के माध्यम से भवन चिन्हांकित की जाए। योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य शहरी विकास अभिकरण छत्तीसगढ़ (सूडा ) को नोडल एजेंसी बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री सस्ती दवा दुकान योजना के लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने अवर सचिव एचआर दुबे ने मार्गदर्शिका जारी की है, जिसमें कहा गया है। कोरोना संक्रमण काल में शहरी स्वास्थ्य अधोसंरचना के साथ-साथ विभिन्न जांच, दवाइयां सुलभ और सस्ती वैकल्पिक व्यवस्थाओं की जरूरत है। मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और सिटी डायग्नोस्टिक सेंटर शुरू किए जा रहे हैं। विश्व में जेनेरिक दवाइयों की मांग बढ़ रही है। जेनेरिक दवाइयां बिना किसी पेटेंट के बनाई और बेची जाती है। इनकी गुणवत्ता किसी भी रूप में ब्रांडेंड दवाइयों से कम नहीं होती हैं। बल्कि इसकी कीमत ब्रांडेंड दवाओं से कई गुना कम होती है।