पटना। अगर आप एंटीबायोटिक दवा का सेवन कर रहे हैं तो आपके लिए ये खास खबर है। केंद्र के सहयोग से आईजीआईएमएस में संचालित एडवर्स ड्रग रिएक्शन मॉनिटरिंग सेंटर में दवा के दुष्प्रभाव से संबंधित चार हजार मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 70 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिनमें डॉक्टर की सलाह बिना बाजार से दवा खरीद कर सेवन किया गया था। इससे मरीज के शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ा। दो दवाओं का दुष्प्रभाव अधिक पाया गया है। आईजीआईएमएस में अब तक कुल 65 मरीजों की किडनी प्रत्यारोपित की गई है। उनमें से पांच ऐसे थे, जिनकी किडनी दवा के दुष्प्रभाव होने से खराब हुई। शेष 60 मरीजों की किडनी पर मधुमेह और ब्लडप्रेशर के कारण असर हुआ था। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल के अनुसार निमोस्लाइड व टेक्नोफिनाक का दुष्प्रभाव मरीजों पर अधिक हो रहा है, इसीलिए डॉक्टरों को इन्हें लिखने से परहेज करने की सलाह दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि दवाओं का दुष्प्रभाव किडनी, लिवर, चेस्ट और हृदय पर सबसे अधिक होता है। एंटीबायोटिक दवाओं का बेरोकटोक इस्तेमाल किया जा रहा है, जो भविष्य के लिए काफी खतरनाक है। हाल में नई एंटीबायोटिक दवाओं की खोज नहीं हुई। पुरानी दवाएं ही बाजार में बेची जा रही हैं। ऐसे में इन दवाओं का शरीर पर रेसिस्टेंस विकसित हो जाने से असर नहीं होता है। उलटे यह शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं।