रांची (झारखंड)। औषधि निदेशालय ने रामेश्वरम कॉलोनी, बरियातू निवासी एक स्टॉकिस्ट के करीब 25 लाख रुपए के इंजेक्शन फ्रीज कर दिया है। दवाओं की कीमत भ्रामक रहने के आरोप में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 की धारा नौ (सी) के तहत यह कार्रवाई की गई है। इसे एक्ट की धारा 18 का भी उल्लंघन माना गया है और स्टॉकिस्ट को एक्ट की धारा 22(1)(सी) के तहत निर्देश दिया गया है कि वह दवाओं के फ्रीज किए जाने की तारीख से अगले 20 दिन तक इनका वितरण नहीं करेगा।
फ्रीज किए गए इंजेक्शन में टिजेफिक प्लस व टिजेफिक (470 यूनिट), फॉस्फोसाइड व फॉस्फोफिक (60 यूनिट) और ग्यूफिकल प्लस व ग्यूफिकल (460 यूनिट) इंजेक्शन शामिल हैं। गौरतलब है कि कंपनी व अस्पताल कीमतों में भारी अंतर का नाजायज लाभ उठाते हैं। हालांकि निदेशालय ने संबंधित दवाओं के खरीदार आठ अस्पतालों को चिह्नित तो किया है, पर अभी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। एक ही कंपोजिशन वाले इन इंजेक्शन की कीमत में भारी अंतर है। टिजेफिक प्लस की कीमत 3,619 रुपये और इसी कंपोजिशन की टिजेफिक की कीमत 1,089 रुपये प्रति यूनिट है। फॉस्फोसाइड की कीमत 4,499 रुपये और इसी कंपोजिशन की फॉस्फोफिक की कीमत 1,999 रुपये प्रति यूनिट है। ग्यूफिकल प्लस की कीमत 6,393 रुपये और इसी कंपोजिशन की ग्यूफिकल की कीमत 2,196 रुपये प्रति यूनिट है। औषधि निदेशालय ने फ्रीज किए गए इंजेक्शन की कीमत के संबंध में इसकी निर्माता कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा है। पूछा गया है कि एक ही कंपोजिशन व मात्रा वाले इन इंजेक्शन की कीमत में भारी अंतर क्यों है? जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर एक्ट के मुताबिक आगे कार्रवाई की जाएगी।