फाजिल्का (पंजाब)। देशभर में सालभर लाखों लोग ब्लड डोनेट करते हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में मरीजों की खून के अभाव में मौत हो जाती है। अक्सर सुनने में आता है कि ब्लड बैंक में रक्त की कमी है। जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मांगी गई जानकारी में पता चला है कि देशभर में पिछले वर्ष लाखों यूनिट रक्त बर्बाद हो गया। फाजिल्का निवासी आरटीआई मूवमेंट के संरक्षक राजेश ठकराल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में आवेदन दिया था। इसके जवाब में नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने बताया है कि वर्ष 2017 में 7 लाख 22 हजार 406 यूनिट रक्त और उसके उत्पाद बर्बाद हो गए। अगर इस रक्त की गिनती लीटरों में करें तो तकरीबन इससे 60 टैंकर भरे जा सकते हैं। गौरतलब है कि 2017 में 1 करोड़ 14 लाख 56 हजार 878 यूनिट ब्लड जुटाया गया था।

आरटीआई में मिली जानकारी में देश के ब्लड बैंकिंग सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर किया गया है। यह दिखाता है कि ब्लड बैंकों और अस्पतालों के बीच तालमेल की भारी कमी है। कई बार ऐसा होता है जब एक अस्पताल में ब्लड की कमी होती है, तब दूसरे अस्पताल में ब्लड रहता है, लेकिन इन अस्पतालों के बीच उचित संवाद न होने के कारण ब्लड रखे-रखे एक्सपायर हो जाता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि किसी भी अस्पताल में जब ब्लड की अवधि 25 दिन से अधिक होने लगे तो उस अस्पताल को दूसरे अस्पताल से संपर्क कर उसे ब्लड भेज देना चाहिए। यही कारण है कि लोगों को बार-बार रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

आरटीआई एक्टीविस्ट राजेश ठकराल का कहना है कि हमें रक्त की इस बर्बादी को रोकने के लिए ठोस कार्यवाही करनी होगी। साथ ही इस बर्बादी में जिम्मेदार और अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करनी होगी।  आरटीआई के तहत मिली जानकारी अनुसार वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में 100027 यूनिट रक्त बर्बाद हुआ है। यहां देश में सबसे ज्यादा बर्बादी हुई है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश में 164 यूनिट रक्त बर्बाद हुआ है, जो देशभर में सबसे कम बर्बादी है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल (99887 यूनिट), उत्तर प्रदेश (44724 यूनिट), गुजरात (55452 यूनिट) जैसे राज्यों के ब्लड बैंकों ने भी खूब ब्लड बर्बाद किया है। वर्ष 2016 मेें भी 6.69 लाख यूनिट ब्लड बर्बाद हुआ था।