बरेली। नारकोटिक्स श्रेणी में आने वाली नशीली दवाओं का स्थानीय बाजार में हर माह करोड़ रुपये का धंधा हो रहा है लेकिन कागजों पर इसका लेखा-जोखा कुछ और होता है। इसकी जानकारी मिलने पर एफएसडीए विभाग ने प्रभावी कार्रवाई करने के लिए सात फर्मों को नोटिस जारी हिसाब- किताब तलब किया है। इससे व्यापारियों में अफरातफरी मची हुई है। तो वहीं सहायक आयुक्त औषधि- संजय कुमार के अनुसार गोपनीय सूचना मिली थी कि बरेली बाजार से बड़े स्तर पर नशीली दवाओं का कारोबार हो रहा है। इसमें सात फर्म चिह्नित हुई हैं। इन फर्मों को नोटिस जारी कर बिलिंग के अभिलेख तलब किए हैं। जांच में गड़बड़ी मिलने पर प्रभावी कार्रवाई होगी।

गौरतलब है कि दर्द निवारक पॉक्सीवॉन, स्पास्मो, डाई साइक्लोमिन, डैक्स्ट्रो प्रोपोक्सीफिन आदि दवाओं की मांग नशेड़ियाें में ज्यादा बताई जाती है। पंजाब सरकार ने नारकोटिक्स श्रेणी में आने वाली नशीली दवाओं के कारोबार पर सख्ती कर दी है। इसलिए बरेली समेत कुछ अन्य बाजारों से नशीली दवाएं तस्करी हो रही हैं। बरेली से सबसे ज्यादा दर्द निवारक स्पास्मो की मांग बताई जाती है। हर माह करोड़ों रुपये की स्पास्मो आदि नशीली दवाएं बरेली से बहेड़ी होते हुए पंजाब में पहुंचाई जा रही हैं। सूत्रों ने बताया कि नारकोटिक्स विभाग की मिलीभगत से बहुत बड़ा नेटवर्क काम रहा है। नशीली दवाओं की बडे़ स्तर पर हर दिन तस्करी होती है।

गैरतलब है कि खांसी के इलाज में इस्तेमाल होने वाला फेंसिडियल सीरप का इस्तेमाल युवा और खास तौर से हॉस्टल में रहने वाले लड़के नशे के लिए कर रहे हैं। ज्यादा इस्तेमाल करने पर युवा इसका आदि बन जाता है। देहरादून में इस सीरप की काफी मांग है। यह सीरप चार गुना कीमत पर बिक रहा है। लॉकडाउन के दौरान जब शराब की दुकानें बंद थी तब इस सीरप की काफी कालाबाजारी हुई। बीते अप्रैल माह में ही बीएसएफ ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक तस्कर को गिरफ्तार कर उसके पास से सैकड़ों की संख्या में फेंसेेडिल सीरप बरामद किया था।

जिसको लेकर एफएसडीए विभाग ने शास्त्री मार्केट स्थित संचालित जय फार्मा, सविता ट्रेडर्स, निकुंज मेडीकल, पांडे मेडिकल, बालाजी, चंद्रा और पाल मेडीकोज को नोटिस जारी किए हैं। इन फर्मों से कहा गया कि वे सप्ताह भर में खरीद-फरोख्त आदि के बिल और अभिलेख प्रस्तुत करें। इस कार्रवाई से बाजार में अफरातफरी मची हुई है।

दरअसल एफएसडीए टीम को जानकारी मिली है कि बरेली बाजार से बहेड़ी होते हुए पंजाब को नशीली दवाओं की खेप पहुंचाई जा रही है। खांसी की दवा फेंसेेडिल की तस्करी तो पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश तक हो रही है। बरेली बाजार नशीली दवाओं की तस्करी का गढ़ माना जाता है। इस काले धंधे में नारकोटिक्स विभाग का भी कुछ स्टाफ शामिल बताया जाता है। करीब दो रुपये कीमत वाला कैप्सूल दस रुपये तक बिकता है। शास्त्री मार्केट के दवा बाजार के सूत्रों ने बताया कि करोड़ों रुपये की स्पास्मो, डाई साइक्लोमिन, डैक्स्ट्रो प्रोपोक्सीफिन, पैरासिटामोल आदि दर्द निवारक दवाओं की हर माह बरेली से तस्करी हो रही हैं। नारकोटिक्स विभाग स्टाफ अपने हिसाब से कार्रवाई करता है इसलिए शहर की गली नवाबान और शास्त्री मार्केट नशीली दवाओं की अवैध आपूर्ति का केंद्र बन गए हैं।