अंबाला : बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत हरियाणा सरकार कड़ा रुख अख्तियार करने के मूड में लगती है। आने वाले बजट सत्र में इसका कानूनी परिभाषा वाला खाका करीब-करीब तैयार हो चुका है। अंतिम मुहर लगना बाकी है। सरकारी सूत्रों की मानें तो औषधि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस विषय को लेकर बेहद गंभीर और बारीकी से होमवर्क कर रहे है ताकि एमटीपी और गर्भपात में सहायक अन्य विकल्पों के खुले बाजार में उपलब्धता पर कानून और कड़ा हो सके। संलिप्ता एवं दोषी पाए जाने पर 3 से 5 वर्ष की सजा का प्रावधान होगा।
मुख्यालयों से इस बारे में जो सुझाव मांगे थे, वह भी प्राप्त हो चुके हैं और इस बाबत रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी गई, लेकिन अभी खुलकर कोई अधिकारी कुछ कहने को राजी नहीं है। अब दवा व्यावसाइयों द्वारा इन दवाओं का क्रय-विक्रय करना मुश्किल हो जाएगा। यदि हरियाणा में कानून बनता है तो भ्रूण हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा। ऐसा हुआ तो कोख के कत्ल का कलंक धुलेगा और लड़कियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। जानकारों का कहना है कि हरियाणा में फैले गर्भपात के गोरखधंधे की जड़े पड़ोसी राज्यों से गहरी जुड़ी हैं। कानून बनाने में सरकार तेजी ला सकती है, लेकिन इस जड़ को खत्म करना टेढ़ी खीर होगी। सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग के कई कर्मचारी और अधिकारी लालच के चक्कर में इन ‘धंधेबाजों’ पर ठंडी नजर रखते हैं।
जब ‘डंडा’ उठेगा तो लिंगानुपात सुधरेगा
मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से काम करने वाले आईएएस अधिकारी डॉ. राकेश गुप्ता अब भी राज्य में बेटियों को असुरक्षित मानते हैं। वह कहते हैं कि बिना डंडा उठाए, लिंगानुपात में सुधार होने वाला नहीं। पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएनडीटी एवं एमटीपी एक्ट पर उन्होंने प्रदेश के सभी जिला उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ अभियान की समीक्षा कर जरूरी निर्देश दिए हैं। डॉ. गुप्ता ने राज्य में अवैध रूप से चल रहे नशामुक्ति केंद्रों पर लगाम लगाने की वकालत करते हुए कहा कि राज्य में रजिस्टर्ड तौर पर 53 नशामुक्ति केंद्र है।