भोपाल: एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में अच्छे आचरण और नैतिकता का पाठ शामिल किया जा रहा है। ताकि भावी डॉक्टरों को इलाज के गुर सिखाने के साथ ही मरीजों से अच्छे व्यवहार का ज्ञान भी दिया जा सके। डॉक्टरी पेशे को ‘मानवता की सेवा’ मानना, जो जांच व दवाएं जरूरी हों सिर्फ वही लिखना, तथा कमीशनखोरी से दूर रहने के चैप्टर पाठ्यक्रम में शामिल होंगे। सिलेबस संबंधी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के इस प्रस्ताव को भारत सरकार की शीघ्र मंजूरी मिलने वाली है। 2018-19 के सत्र से नया सिलेबस लागू हो सकता है।
एमसीआई अधिकारियों ने बताया कि एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में कई साल बाद बड़ा बदलाव किया जा रहा है। साढ़े चार साल के कोर्स में करीब 180 घंटे का समय निकाल कर इस अवधि में आचार संहिता का पाठ पूरे चार साल पढ़ाया जाएगा। डॉक्टरों को पढ़ाया जाएगा कि दवा का जेनेरिक नाम भी लिखना होगा। पेशे के प्रति सम्मान रखना और मानवता की सेवा करना होगा। अपनी पैथी के अलावा दूसरी पैथी में इलाज नहीं करने का संकल्प लेना होगा। मरीज का रिकॉर्ड तीन साल तक रखना होगा। रजिस्ट्रेशन नंबर डिस्प्ले करना होगा। एमटीपी, पीसी एंड पीएनडीटी, मेंटल हेल्थ एक्ट तथा अन्य नियमों का पालन करना होगा। मरीज की गोपनीयता बरकरार रखना होगी। मरीज को उसकी बीमारी और इलाज के बारे में बताना होगा। मरीज को रेफर करने पर उसकी पूरी हिस्ट्री लिखना होगी।