इंदौर। प्रशासन द्वारा ऑक्सीजन गैस की औद्योगिक आपूर्ति पर लगाई गई रोक से दवा कंपनियां भी प्रभावित हो रही हैं। दवा कंपनियों ने प्रशासन से मांग की है कि अन्य उद्योगों से अलग उनके लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति शुरू की जानी चाहिए। दवा निर्माताओं की ओर से बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन ने कलेक्टर को पत्र भेजा है। साथ ही इंदौर व आसपास डेक्सामेथासोन बना रही 30 दवा निर्माता इकाइयों की सूची भी प्रशासन को दी है। दवा इकाइयों की ओर से कहा गया है कि इस इंजेक्शन को बना रही कंपनियां इसकी सप्लाई सरकारी अस्पतालों को भी कर रही हैं। अब तक तो कंपनियों ने ऑक्सीजन के अतिरिक्त स्टॉक से उत्पादन जारी रखा है, लेकिन आने वाले दिनों में कंपनियों के पास मौजूद ऑक्सीजन का स्टॉक खत्म हो जाएगा। ऐसे में इंजेक्शन का उत्पादन रुकेगा तो सरकारी सप्लाई रुक जाएगी, जिससे मरीजों के इलाज में भी परेशानी बढ़ जाएगी। दरअसल बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के सचिव जेपी मूलचंदानी के मुताबिक इस इंजेक्शन का उपयोग कोरोना के मरीजों के उपचार में सहयोगी दवा के तौर पर हो रहा है। दरअसल, इंजेक्शन सूजन रोकने और शरीर में तरल जमा होने के इलाज में मदद करता है। सरकारी सप्लाई की सूची में भी यह दर्ज है। कंपनियों को उत्पादन रुकने पर स्वास्थ्य विभाग की सप्लाई भी रोकनी पड़ेगी। इसका असर आम लोगों के इलाज पर पड़ेगा। हमने प्रशासन को सिर्फ उन्हीं 30 दवा कंपनियों की सूची सौंपी है, जो इस इंजेक्शन को बना रही हैं। सिर्फ उन्हीं कंपनियों को ऑक्सीजन आपूर्ति की छूट मिल जाए तो समस्या हल हो जाएगी। इन दवा कंपनियों को प्रतिदिन 100 से भी कम ऑक्सीजन सिलेंडरों की जरूरत होती है। गौरतलब है कि एक इंजेक्शन डेक्सामेथासोन के निर्माण में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। दवा निर्माताओं का कहना है कि उद्योगों के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति बंद करने के प्रशासन के आदेश के बाद दवा कंपनियों को भी ऑक्सीजन नहीं मिल रही। इससे इस इंजेक्शन का उत्पादन प्रभावित हो रहा है, जबकि इस इंजेक्शन की कोरोनाकाल के दौरान मांग बनी हुई है। तो वही दूसरी तरफ कंपनियों को ऑक्सीजन नहीं मिली तो बाजार में इस इंजेक्शन के दाम बढ़ेंगे और कमी आने पर कालाबाजारी शुरू होने की भी आशंका बढ़ जाएगी।