नई दिल्ली : एक अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन पिछले कोरोना वेरिएंट की तुलना में कम गंभीर है. इससे फेफड़ों को उतना नुकसान नहीं होता है.

ये जानकारी कई अध्ययनों से सामने आई है. डेली मेल ने बताया कि हैम्स्टर्स और चूहों पर अमेरिकी और जापानी वैज्ञानिकों के एक संघ द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों के फेफड़ों को कम क्षति हुई.

रिपोर्ट में कहा गया कि ओमिक्रॉन से संक्रमित चूहों के फेफड़ों में अन्य वेरिएंट की तुलना में वायरस का दसवां हिस्सा कम था.

रिपोर्ट में कहा गया कि वायरस के पहले के उपभेदों की तुलना में 12 फेफड़ों के सैंपल में ओमिक्रॉन काफी धीरे-धीरे बढ़ता है.

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि सुपर म्यूटेंट वेरिएंट फेफड़ों के निचले हिस्सों में उतना नहीं होता है, जिसका मतलब है कि यह कम नुकसान पहुंचाता है.

दक्षिण अफ्रीका के डेटा से पता चला है कि डेल्टा वाले लोगों की तुलना में ओमिक्रॉन पीड़ितों की अस्पताल में मौत होने की संभावना 80 प्रतिशत तक कम है.