नई दिल्ली। केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) की सविस्तार समीक्षा बैठक की। पीएमबीजेपी ने चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में 6600 जन औषधि दुकानों के माध्यम से 358 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2019 में 433 करोड़ रुपये की बिक्री की तुलना में) के फार्मा उत्पादों की बिक्री की है, और पूरे वित्त वर्ष में 600 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि जन औषधि दवाओं की प्रभावकारिता और गुणवत्ता के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने, सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान देने के साथ कवरेज बढ़ाने और प्रत्येक जन औषधि दुकान पर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बीपीपीआई को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने और इसे प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नागरिकों को सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध कराने की योजना को 2015-16 में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के रूप में परिवर्तित किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत के प्रत्येक नागरिक को किफायती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराकर उनके स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम करना है। किफायती दवाओं की बिक्री करने वाली जन औषधि दुकानों की संख्या 2014-15 के 99 दुकानों से बढ़कर वर्तमान में लगभग 6600 दुकानों तक पहुंच गई है। बिक्री आंकड़ा भी 2014-15 के 7.29 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 433 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। साथ ही बैठक के दौरान सदानंद गौड़ा ने बीपीपीआई टीम को कोविड-19 के कठिन समय में किफायती दर पर लोगों को दवाओं और मास्क जैसे अन्य फार्मा उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बधाई दी। सदानंद गौड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नागरिकों, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के दवाओं पर होने वाले खर्च में कमी लाने का सपना अब पूरा हो रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि बीपीपीआई को अभिनव उपायों को अपनाना चाहिए, ताकि आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करके इस बेहतर स्थिति को सुदृढ़ किया जा सके।