गया (बिहार)। औषधि विभाग की दवा कारोबार पर सख्त नजर टिकी है। आंकड़े बताते हैं कि सालभर में करीब 150 मेडिकल स्टोरों को निलंबित किया गया। वहीं, पांच दवा दुकानों के लाइसेंस कैंसिल किए गए।
औषधि विभाग की नजर दवा की गुणवत्ता, जीएसटी व फार्मासिस्ट से लेकर अन्य बिंदुओं पर बनी हुई है। इसी के चलते बीते वर्ष में दवा दुकानों पर कार्रवाई के अधिक मामले प्रकाश में आए हैं। जनवरी से दिसम्बर 2023 तक करीब 150 दुकानें निलंबित की गईं हैं। यही नहीं, बीते छह माह में निलंबन से लेकर कैंसिल करने कार्रवाई ज्यादा हुई हंै।
पांच मेडिकल स्टोर किए गए कैंसिल
सहायक औषधि नियंत्रक विजय कुमार के अनुसार नकली दवा की बिक्री, जीएसटी की चोरी, स्थायी रूप से फार्मासिस्ट नहीं रहना जैसे मुख्य कारणों के चलते दवा प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई हुई। उन्होंने बताया कि कैंसिल की गई पांच में तीन दुकानें गया शहर, एक फतेहपुर और एक मानपुर की हंै।
नकली दवा मिलने से लाइसेंस कैंसिल
उन्होंने बताया कि गया शहर की थोक मंडी स्थित रघुनाथ फार्मासिस्ट पर नकली दवा मिलने से लाइसेंस कैंसिल किया गया। वहीं, फतेहपुर के मां फार्मा पर 55 लाख रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ी गई। इस कारण इसे रद्द किया गया। फार्मासिस्ट नहीं मिलने से गया शहर के रंग बहादुर रोड स्थित न्यू किसान मेडिकल की रद्द की गई।
इसी प्रकार, फार्मासिस्ट के नहीं रहने पर मानपुर भुसुंडा के मुन्ना मेडिकल और गया शहर के जीबी रोड स्थित प्रताप मेडिकल हॉल के लाइसेंस कैंसिल किए गए। उन्होंने बताया कि विभाग की यह कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी।