सुपौल के अनुमंडल अस्पताल त्रिवेणीगंज में जीवन रक्षक दवा फेंके जाने के मामले की जांच में टीम जुट गई है। सिविल सर्जन सुपौल के पत्रांक 1255 दिनांक 31 अगस्त 2020 के आलोक में गठित टीम ने बुधवार को अनुमंडल अस्पताल पहुंच कर मामले की बारीकी से जांच प्रारंभ कर दी है। जांच का जिम्मा जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मेजर शशिभूषण प्रसाद को दिया गया। इसके साथ ही जांच टीम ने सूचक के साथ उस कचरे में दवा को खोजा जिसमें बिना एक्सपायरी के आयरन विथ फोलिक एसिड 50 एमएल दवा मिली जिसे सैंपल के तौर पर जांचकर्ता अपने साथ ले गए। जांचकर्ता को कचरे में कई ऐसी दवा भी मिली जो एक्सपायर हो चुकी हैं। वहीं डॉ. मेयर शशिभूषण प्रसाद ने जानकारी देते हुए बताया कि मामले की बारीकी से जांच की जा रही है जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट हो पाएगा।

मालूम हो कि अनुमंडलीय अस्पताल को अपना भवन नहीं है। लिहाजा अस्पताल के भवन निर्माण के लिए टेंडर होने के बाद अस्पताल के नए भवन का निर्माण शुरू हुआ है। जिसको लेकर अस्पताल के पुराने जर्जर भवन को तोड़ने का कार्य चल रहा है। पुराने जर्जर अस्पताल के भवन में जो दवा रखी गई थी जिसे बीते सोमवार को ट्रैक्टर पर लोड कर अस्पताल प्रशासन द्वारा फेंकवाया जा रहा था। फेंके जा रहे दवा में जीवन रक्षक दवाइयां आयरन विथ फोलिक एसिड सीरप जो वर्ष 2021 के फरवरी में एक्सपायर होने वाली थी उसे भी फेंका जा रहा था। फेंके जा रहे दवा की सूचना स्थानीय निवासी आरटीआई कार्यकर्ता संतोष कुमार ने मोबाइल के माध्यम से जिलाधिकारी औऱ सिविल सर्जन सुपौल को दी। जिसके बाद यह मामला उजागर हुआ।
मामले की जांच करने बुधवार को अपनी टीम के साथ डॉ. मेजर शशिभूषण प्रसाद अनुमंडल अस्पताल पहुंचे। जहां पहुंचने के बाद जांच टीम ने सूचक को बुला कर बारीकी से मामले की जानकारी ली।