नोएड़ा: मामला अलीगढ़ का है। सरकारी दवा खरीद में करोड़ों का घोटाला सामने आने से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ गई। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर विभाग ने यहां दो करोड़ से ज्यादा की दवाएं खरीदी थीं। नियमानुसार दवा खरीद के लिए होने वाले टेंडर को दरकिनार कर दिया गया। चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने और पैसा कमाने के लालच में यह सब किए जाने की सूचनाएं मिल रही हैं। भुगतान किए जाने के बाद मामला सुर्खियों में आया। शासन ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि दवा खरीद नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत की गई थी। शासन ने खरीद मद के लिए री-टेंडर के निर्देश दिए थे लेकिन स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने निर्देशों को दरकिनार कर विशेष फर्म को खरीद का ठेका दे दिया। बाद में उसे भुगतान कर दिया गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र वार्षर्णेय ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से मामले की शिकायत की। उन्होंने कहा कि शिकायत की प्रमाणिकता इस बात से सिद्ध होती है कि शासन के अधीन संस्था यूपीटीएल द्वारा कराई गई जांच में अलीगढ़ में भी दवा घोटाले का प्रकरण सामने आया है। वहीं, पिछले दिनों मलखान सिंह जिला अस्पताल में पकड़े गए फर्जी डॉक्टर प्रकरण में जांच में पता चला है कि जिस मेडिकल स्टोर संचालक का भाई डॉक्टर बनकर बैठा था उस मेडिकल स्टोर का लाइसेंस ही उसके नाम नहीं है। साथ ही मेडिकल स्टोर पर फार्मेसिस्ट भी नहीं मिला। सीएमएस डॉ. रामकिशन ने बताया कि पिछले दिनों जिला अस्पताल के ईएनटी विभाग में एक युवक बैठा था जो स्वयं को डॉक्टर बता रहा था। युवक मरीजों को अस्पताल के बाहर अपने भाई के मेडिकल स्टोर पर भेज रहा था। भाजपा नेताओं ने जब उसे पकड़ कर संबंधित विभाग को जानकारी भेजी तो पता चाल कि यह मेडिकल स्टोर भी उसका नहीं है। उसने इसे हजार रुपये प्रतिदिन किराए पर ले रखा है। लाइसेंस किसी और के नाम पर है।