जालंधर: सिविल सर्जनों द्वारा नियमों को ताक पर रख दवा और अन्य सामान खरीदने के मामले में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। कोई भी दवा खरीदने से पहले जनऔषधि केंद्र से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लेना अनिवार्य है। पता चला है कि पूर्व सिविल सर्जन डॉ. कैलाश कपूर, डॉ. राजीव भल्ला और डॉ. मनिंदर कौर मिन्हास ने खरीद से पहले सिविल अस्पताल स्थित जनऔषधि केंद्र से कोई एनओसी नहीं ली। स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महिंद्रा के कहने पर मिशन निदेशक वरुण रूजम ने नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक डॉ. शशिकांत और उनकी टीम से जांच करवाई तो पता चला कि सिविल सर्जनों ने मनमाने ढंग से खरीद की है। सिविल सर्जन दफ्तर ने अपने अधीन आने वाले अस्पतालों और अन्य दफ्तरों से बिना पूछे ही सारी खरीददारी कर डाली। जिसमें दवा के अलावा अस्पतालों के लिए जरूरी दूसरे सामान भी हैं। करोड़ों रुपये की दवा खरीद से जुड़ा कोई दस्तावेज जांच टीम को नहीं मिला जिस पर दवा की एक्सपायरी और गुणवत्ता की जानकारी लिखी हो। टीम ने माना कि दवाओं की गुणवत्ता के साथ समझौता कर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने की कोशिश हुई है।

जानकारी के मुताबिक, सिविल सर्जन डॉ. मनिंदर कौर मिन्हास के कार्यकाल में उन्होंने एनएचएम के सभी खातों में सिग्नेचरी खुद को रखा। नियम के मुताबिक वह अकेली सिग्नेचरी नहीं हो सकती थी। चेक से भुगतान के वक्त सिविल सर्जन के साथ अकाउंट अफसर या जिला प्रोग्राम प्रबंधक के हस्ताक्षर होना जरूरी है। जननी-शिशु सुरक्षा योजना के तहत कंज्यूमेबल्स की खरीद के लिए सिविल सर्जन दफ्तर को जिले के अलग-अलग अस्पतालों को 55 लाख रुपये का फंड ट्रांसफर करना था ताकि अस्पताल अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च कर सकें। इस मामले में 38.27 लाख दफ्तर ने अपने स्तर पर ही खर्च कर डाले।

नेशनल हेल्थ मिशन ने 2015-16 में सख्त हिदायत थी कि जननी-शिशु सुरक्षा योजना के तहत सिविल सर्जन दफ्तर मंजूर हुए फंड्स का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही अपने बूते खर्च कर सकते हैं। इससे ज्यादा खर्च करने के लिए स्टेट मुख्यालय से मंजूरी लेनी होती है। 2016-17 में दफ्तर को सिर्फ 8,88,000 रुपये खर्च करने की पॉवर मिली थी लेकिन नियमों को दरकिनार कर 77,19,476 रुपये खर्च कर डाले। दवा खरीदने से पहले सिविल सर्जनों ने पंजाब हेल्थ सिस्टम कार्पोरेशन (पीएचएससी) से रेट लिस्ट भी नहीं मंगवाई। फिलहाल स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने मामले से जुड़ी सारी फाइलों के साथ संबंधित अफसरों को दो दिन बाद बुलाया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद एक्शन लेने की बात उन्होंने कही है।