चंडीगढ़। फार्मासिस्ट दवा विशेषज्ञ की पहचान है। वर्तमान में यह उपाधि फार्मेसी क्षेत्र में दो वर्षीय डिप्लोमा और चार वर्षीय डिग्रीधारक को प्रदान की जाती है। फार्मासिस्ट को दवा के निर्माण से लेकर उसके भंडारण और वितरण में जिम्मेदारीपूर्वक अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार किया जाता है। जिस प्रकार डॉक्टर बिमारियों के परीक्षण में महारथ हासिल रखता है, उसी प्रकार फार्मासिस्ट दवा का सम्पूर्ण विशेषज्ञ होता है। सामाजिक तौर पर फार्मासिस्ट, डॉक्टर और मरीज के बीच की प्रमुख कड़ी होता है जो डॉक्टर और मरीज के बीच समन्वय स्थापित कर डॉक्टर के निर्देशानुसार दवा वितरण करता है। हर जगह फार्मासिस्ट की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है परन्तु वास्तविक परिस्थितियाँ इनसे एकदम भिन्न हैं। सरकार की नजर में फार्मासिस्ट का कार्य डॉक्टर के कहने पर दवा देना है जो कि कोई भी नर्सिंग कर्मी कर सकता है।
देखा जाये तो यह बात काफी हद तक सही प्रतीत होती है क्योंकि अधिकतर फार्मासिस्टों का ज्ञान इतना सीमित है कि उन्हें पर्ची पर दवा का नाम पढक़र उसे देने के अलावा कुछ नहीं आता है। इसकी जिम्मेदारी हमारी शिक्षा पद्धति पर जाती है जहाँ आज भी पच्चीस वर्ष पूर्व निर्मित पाठ्यक्रम को पढ़ाया जा रहा है। विद्यार्थी भी घर बैठे सुविधाशुल्क देकर अपनी पढ़ाई कर लेना चाहते हैं और कॉलेज इस प्रवृत्ति को बढ़ा रहे हैं। जिस क्षेत्र में शीर्ष उपाधि के पश्चात भी डिप्लोमा स्तर की नौकरी ज्वाइन करने पर उत्साह हो, तब हम बखूबी अंदाजा लगा सकते हैं कि उस क्षेत्र में रोजगार की स्थिति क्या होगी।
दवा निर्माण उद्योग भी फार्मासिस्ट की ज्यादा जरुरत नहीं समझता है और यहाँ पर भी फार्मासिस्ट के लिए कोई स्थान आरक्षित नहीं है। ये फार्मासिस्ट के स्थान पर विज्ञान में सामान्य डिग्रीधारक को रखना अधिक पसंद करते हैं क्योकि वे सुगमता से कम पारिश्रमिक पर उपलब्ध हो जाते हैं। वैसे भी हमारे नियम कायदे यही कहते है कि विज्ञान का डिग्रीधारक 36 महीनों तथा फार्मेसी का डिग्रीधारक 18 महीनों पश्चात मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट के लिए योग्य हो जाता है। इस सिर्फ 18 महीनों के अंतर को पाटने के लिए कोई फार्मेसी में डिग्री क्यों करे? यह नियम बदलना चाहिए तथा दवा निर्माण उद्योग में भी फार्मासिस्ट की प्रमुख भूमिका होनी चाहिए।
विभिन्न केमिस्ट असोसिएशन पर सिर्फ दवा व्यापारियों का कब्जा है। दवा व्यापारी केमिस्ट कैसे हो सकते हैं? केमिस्ट तो सिर्फ फार्मासिस्ट ही हो सकता है। दवा व्यापारियों के लिए सिर्फ दवा व्यापार संघ, दवा व्यापारी एसोसिएशन आदि होने चाहिए। हमें इन सभी स्थितियों से बाहर निकलकर अपने फार्मेसी क्षेत्र के उत्थान में योगदान देना होगा तथा हमारे शीर्षस्थ लोगों को मजबूर करना होगा कि वो इस तरफ ध्यान दें।
– साभार : ज्वारभाटा