आगरा। शहर में नशीली दवाओं की कालाबाजारी धड़ल्ले से की जा रही है। हालत यह है कि 77 रुपये कीमत का कफ सीरप 350 रुपये तक में बेचा जा रहा है। इसे सबसे ज्यादा बिहार, पश्चिमी बंगाल, बांग्लादेश और पंजाब में सप्लाई किया जा रहा है। यहां सभी कप सीरप की 300 से 350 रुपये में बेचा जाता है। बिहार में शराब बंदी के चलते यहां सीरप की सीधे चार से पांच गुना कीमत पर बिक्री की जाती है। औषधि नियंत्रण विभाग की लापरवाही के कारण कालाबाजारी करने वाले माफिया का जाल फैलता जा रहा है। बता दें कि कोरेक्स टी 77 और कोरेक्स 112 रुपये की एमआरपी है। वेलीरेक्स जेनेरिक है, जो 137 रुपये एमआरपी है, जो आम मरीजों को 25 से 30 रुपये में मिलता है। दवा विक्रेताओं को कोरेक्स टी लगभग 60 रुपये कोरेक्स 90 रुपये और वेलीरेक्स 15 से 20 रुपये में मिलता है। खांसी की बीमारी में उपयोग होने वाले इस सीरप को नशाखोर नशे के लिए उपयोग करते हैं। ड्रग इंस्पेक्टर बृजेश यादव के अनुसार कालाबाजारी से कफ सीरप, मानसिक रोग की दवाएं दवा माफिया कम कीमत में खरीदकर कालाबाजारी कर चार से पांच गुना कीमत में बेचते हैं। जिला आगरा फार्मा एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष आशू शर्मा बताते हैं कि प्रशासन और विभाग से मांग है कि इस कारोबार में लगे दवा माफिया को पकड़ें, जिससे अन्य दवा विक्रेताओं की प्रतिष्ठा धूमिल न हो। कफ सीरप में 100 एमजी तक कोडीन फास्फेट रहती है, इससे नशा होता है। जुकाम-खांसी में तय डोज में यह सीरप लिया जाता है, जिससे मरीज को आराम मिलता है और मर्ज ठीक होती है। ऐसे में नशे के आदी एक बार में एक या दो सीरप पी लेते हैं, जिससे उनकी नशे की लत पूरी हो जाती है। नशीली दवाओं के काले कारोबार में यहां पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार की पुलिस छापा मार चुकी है। बीते दिनों ही पंजाब में 27 लाख की नशीली दवाएं पकड़ में आई थी, जिस पर पंजाब एसटीएफ ने छापा मारकर तीन दुकानदारों को पकड़ा था।