मुंबई। मुंबई के जेजे अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट घोटाला सामने आया है। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। रोगी जमालुद्दीन के परिवार ने राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की मदद ली क्योंकि उनकी हालत ऐसी थी कि उन्हें तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी। परिवार को उम्मीद थी कि अधिकारी घोटाले को उजागर करने में उनकी मदद करेंगे। कई अस्पतालों में फैले इस रैकेट की पहुंच यहां तक है कि अस्पताल के कर्मचारी और एजेंट भी इसका हिस्सा हैं। एसीबी की मुंबई इकाई ने जेजे अस्पताल के एक कर्मचारी तुषार सावरकर को गिरफ्तार किया है। तुषार ट्रांसप्लांट ऑथराइजेशन कमेटी के मुंबई जोन के को-ऑर्डिनेटर्स में से एक था। वहीं, दूसरा आरोपी सचिन साल्वे माहिम के एसएल रहेजा हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर था। इन दोनों को मलाड के एक युवक से रहेजा हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट को मंजूरी देने के बदले 1.5 लाख रुपये मांगने के लिए गिरफ्तार किया गया है। एसीबी सूत्रों ने कहा कि घूस की इस रकम को लेकर सावरकर और साल्वे से लंबी बातचीत के बाद रोगी के रिश्तेदारों ने एसीबी से संपर्क किया था। रोगी जमालुद्दीन खान (40) को किडनी ट्रांसप्लांट की तत्काल आवश्यकता है और जेजे अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ सवाल किए थे कि दाता रोगी से संबंधित है या नहीं। यही वह समय था जब सावरकर और साल्वे ने रिश्तेदारों से संपर्क किया और कहा कि उन्हें 1.5 लाख रुपये देने होंगे और इसके बदले फाइल को मंजूरी दे दी जाएगी।
एसीबी ने दोनों को रंगे हाथ पकड़ा, जब वे रोगी के रिश्तेदारों से 80 हजार रुपये का पहला हिस्सा लेने पहुंचे थे। सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य में ऑर्गन ट्रांसप्लांट फिर चाहे वह निजी अस्पताल ही क्यों न हो, को जेजे अस्पताल की ट्रांसप्लांट कमेटी द्वारा मंजूरी दी जाएगी। जमालुद्दीन के भाई जाकिर हुसैन ने बताया कहा कि उनका भाई तीन साल तक गुर्दे की बीमारी से पीडि़त था और चार महीने पहले उसकी किडनी फेल हो गई, जब उसे नियमित डायलिसिस पर रखा गया था। उसने कहा कि हमारा पूरा परिवार मेरे भाई की मदद करने के लिए आगे आया और हमारी भाभी को एक गुर्दा दान करने के लिए उपयुक्त पाया गया। हमें राहेजा अस्पताल भेजा गया था, जहां सचिन साल्वे ने जेजे के तुषार सावरकर के साथ मिलवाने के लिए भी 10 हजार रुपए लिए थे। यहां बता दें कि इससे करीब दो साल पहले भी राज्य के एक बड़े निजी अस्पताल में एक ऑर्गन तस्करी रैकेट का खुलासा हुआ था।