नई दिल्ली। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) कोविड-19 की चुनौती से निपटने के लिए कई स्तरों पर कार्यरत है। उसने कुष्ठ रोग के उपचार के लिए बनी अपनी ही एक दवा मायकोबैक्टीरियम डब्ल्यूू को कोरोना के उपचार में कारगर पाया है। अब इसके कोरोना उपचार में इस्तेमाल को लेकर ड्रग कंट्रोलर जनरल से अनुमति मांगने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। जम्मू स्थित सीएसआईआर की प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन के निदेशक डॉ. राम विश्वकर्मा ने हिन्दुस्तान को बताया कि मायकोबैक्टीरियम मूलत: कुष्ठ रोग के उपचार के लिए स्वीकृत है।
यह दवा शरीर में बाहरी संक्रमण को रोकने के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती है। आंतरिक आकलन में यह पाया गया कि जिस प्रकार कोविड-19 के संक्रमण में साइटोकाइंस की अति सक्रियता देखी गई है वह नुकसानदायक होती है। दरअसल साइटोकाइंस प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले प्रोटीन हैं। कई कोशिकाएं इन्हें पैदा करती हैं। इनकी मौजूदगी शरीर की प्रतिरोधक तंत्र को सक्रिय और नियंत्रित रखती है। यह पाया गया कि कोविड-19 के संक्रमण में साइटोकाइंस अति सक्रिय हो जाते हैं जिसके चलते प्रतिरक्षा तंत्र काम नहीं कर पाता। एमडब्ल्यू की डोज से उन्हें नियंत्रित कर इस संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान की जाएगी। विश्वकर्मा ने कहा कि यह संभावना है कि इस दवा के इस्तेमाल से कोविड-19 के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उपचार निकले, इसलिए सरकार से इसके कोरोना में उपचार की अनुमति मांगी गई है। यदि अनुमति दी जाती है तो सीधे किसी बड़े अस्पताल में मरीजों पर इसको आजमाया जाएगा। हालांकि दवा कितनी सफल होगी, इसका इस्तेमाल के बाद ही पता चल सकेगा।