अम्बाला, बृजेंद्र मल्होत्रा। मौसम सर्दियों का हो या गर्मियों का, मच्छर-मक्खी सालभर अपना प्रकोप बनाए रखते हैं और इनसे निजात पाने के लिए टीवी-अखबार के माध्यम से गुडनाइट लिक्विड तथा हारपिक आदि के इस्तेमाल की जानकारियां उपलब्ध करवाई जाती हैं ताकि मच्छर मक्खी आदि से छुटकारा पाया जा सके। यह उत्पाद आमतौर पर केमिस्ट व करियाना, कॉस्मेटिक की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध रहते हैं जो कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। इन उत्पादों को बेचने के लिए इंसेक्टिसाइड कानून 1968 के तहत लाइसेंस लेना होता है। यदि किसी दवा विक्रेता, करियाना स्टोर या अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान पर इन उत्पादों का विक्रय हो रहा है। वह वैधानिक रूप से नियमानुसार गलत है क्योंकि यह उत्पाद जहर की श्रेणी में आते हैं।
उपरोक्त जानकारी देते हुए सहायक राज्य औषधि नियंत्रक डॉ. ललित गोयल ने मेडिकेयर न्यूज को बताया कि व्यापारी अनजाने में इन उत्पादों का क्रय-विक्रय अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए कर लेते हैं परंतु यह नियमों की पूर्ण रूप से अवहेलना है। समय रहते इन उत्पादों का क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारी भले ही वह केमिस्ट व्यवसाय से जुड़े हो, इंसेक्टिसाइड के अधिनियम 1968 के अनुसार उन्हें अपने व्यापारिक स्थल को रजिस्टर करवाना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा औषधि प्रशासन दवा व्यापारियों पर तथा सीएमओ के नेतृत्व में टीम किसी भी करियाना कॉस्मेटिक प्रतिष्ठान पर कार्यवाही को अंजाम दे सकती है। वहीं, हारपिक जैसे उत्पादों जिनमें एचसीएल 5 फीसदी या इससे अधिक हो, वहां प्वाइजन एक्ट 1919 के तहत अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान को समय रहते रजिस्टर करवा लें। यदि हार्पिक जिसमें एचसीएल 5 फीसदी से कम हो, वहां पर इन अधिनियम का उल्लंघन नहीं माना जाता ।