मुंबई। जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने नई पहल की है। इसके तहत दवा विक्रेताओं को अपने स्टोर पर जेनेरिक दवाइयां सामने रखना अनिवार्य किया गया है। सरकार के ड्रग टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड ने इस संबंध में निर्णय लेते हुए सभी राज्य सरकारों को इसकी जानकारी भेज दी है। सरकारी आदेशों में कहा गया है कि सभी रिटेल आउटलेट में जेनेरिक दवाओं को रखने के लिए अलग शेल्फ या रैक की व्यवस्था होनी चाहिए। जेनेरिक दवाओं को अन्य दवाओं से अलग रखा जाए और यह उपभोक्ताओं को सामने दिखनी चाहिए।
उधर, उद्योग के जानकारों का मानना है कि जेनेरिक दवाओं के सीमित उत्पादन और दवाएं लिखने में डॉक्टरों के अधिकारों को देखते हुए इस कदम का बेहद कम असर होगा। ऑल-इंडिया केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ने भी सरकार की इस पहल के खिलाफ अपना विरोध जताया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि दवा दुकानों में जेनेरिक दवाओं के लिए अलग शेल्फ मुहैया कराना उचित समाधान नहीं होगा।
ट्रेड मार्जिन को व्यावहारिक बनाने के मामले पर औषधि विभाग की बैठक से पहले देसी लॉबी समूह ने सरकार से कहा है कि स्वास्थ्य से जुड़े उपकरणों की ट्रेड मार्जिन की सीमा चार श्रेणियों में होनी चाहिए। उनका कहना है कि एक लाख रुपये से ऊपर वाले उपकरणों का ट्रेड मार्जिन 50 फीसदी तक सीमित की जानी चाहिए। इस मामले में औषधि विभाग के सचिव की बैठक गुरुवार को हो रही है। देसी विनिर्माताओं की लॉबी का मानना है कि 1,000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये वाले उपकरणों पर यह सीमा 66 फीसदी होनी चाहिए जबकि एक हजार रुपये से कम वाले उपकरणों पर यह 75 फीसदी हो सकती है।