रोहतक। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल दिल्ली के मेडिकल ऑन्कोलॉजीके सीनियर डॉ. पीयूष बाजपेयी ने कहा कि देश में लगभग 30 लाख लोग कैंसर से पीड़ित है और हर साल लगभग 11 लाख नए मरीज कैंसर के आते है। जबकि हर साल कैंसर से 5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। वो आज भारत में कैंसर की बढ़ती प्रवृति पर जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर संवाददाताओं से रूबरू हुए।
उन्होंने कहा कि देश में कैंसर से पीड़ित 70 प्रतिशत रोगी बाद के चरणों में डॉक्टरों के पास आते है। कैंसर दिवस केवल एक दिवस ही नहीं अपितु पूरे वर्षभर बनाया जाना चाहिए। कैंसर को लेकर गलत भ्रांतिया फैली हुई है। जनता में कैंसर के प्रति बेकार डर पैदा होता है। कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा करने की अधिक आवश्यकता है। कैंसर की रोकथाम के लिए अब और अधिक कार्य करना होगा।
उन्होंने बताया कि पुरूषों में फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लीवर जबकि महिलाओं में स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, सर्विक्स और पेट के कैंसर अधिका होते है। पेट स्कैन, 3 डी, रेडिएशन थेरेपी ने कैंसर के निधान और उपचार में क्रांति ला दी है। वहीं हरी सब्जी और फल के अधिक सेवन से भी कैंसर पर काबू पाया जा सकता है।
सर्जिकल ओंकालॉजी के कंसल्टेंट डॉ. सौरब गुप्ता ने कहा कि देश को दुनिया की मुंह की कैंसर की राजधानी कहा जाता है। पुरूषों में 50 प्रतिशत कैंसर और महिलाओं में 20 प्रतिशत कैंसर के लिए सीधे तौर पर तंबाकू का सेवन जिम्मेदार है। इस तरह के कैंसर के 75 हजार से 80 हजार तक के नए मामले हर साल दर्ज किए जाते है। देश में मुंह के कैंसर के 90 प्रतिशत मामलों के लिए तंबाकू और गुटखा जिम्मेदार होते है लेकिन हम अपनी शैली में परिवर्तन लाकर मुंह के कैंसर को रोक सकते है। जो लोग सिगरट, बीड़ी व हुक्का पीते है उनके धुएं से भी पास खड़े होने वाले लोगों को भी कैंसर का खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि पान में समलित सभी प्रदार्थ कैंसर को बढ़ावा देते है। कैंसर में 30 प्रतिशत लोगों की तंबाकू सेवन करने से मौतें होती है। तंबाकू सेवन पर जो नियम सरकार ने बनाए है। उन्हें कठोरता से लागू न करना ओरल कैंसर को बढ़ावा देना है।
ब्रेस्ट ओंकोलॉजी की वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. वेद पद्मा प्रिया ने कहा कि स्तन कैंसर ने अब सरवाइकल कैंसर को पीछे छोड़ दिया है। 9 से 26 वर्ष तक की आयु की महिलाओं का टीकाकरण करके सरवाइकल कैंसर को रोका जा सकता है। कुछ वर्ष पूर्व तक स्तन कैंसर 50 वर्ष से अधिक उर्म की महिलाओं को ही होता था। लेकिन आज स्तन कैंसर युवा महिलाओं में भी अधिक होने लगा है। हरियाणा में रोहतक जिला स्तन कैंसर में नंबर एक है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं में जागरूकता की कमी है तथा वे अपनी बिमारी को लेकर डॉक्टर के पास जाने से हिचकिचाती है।
उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर के मामले शहरी महिलाओं में बढ़ रहे है और इससे बिमारी की शुरूआत में ही पहचान करना आवश्यक है। शुरू की पहचान से ही कैंसर की चिकित्सा दर अच्छी होती है। विज्ञान और प्रौघोगिकी और नई उपचार पद्धति होने के साथ-साथ कैंसर, मधुमेय, उच्च रक्त चाप जैसी क्रोनिक बिमारी बन गई है। डॉ. वेद पद्मा प्रिया ने कहा कि मैक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल कैंसर के रागियों के लिए प्लास्टिक, माइक्रो वैस्कुलर और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की सुविधा देता है। इसके साथ कैंसर उपचार के लिए नवीनतम सर्जरी और कैमोथैरेपी प्र्रोटोकॉल सहित विश्व में उपलब्ध नवीनतम उपचार प्रोटोकॉल का पालन करती है।