नई दिल्ली। कैंसर, डायबिटीज और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों से जुड़ी महंगी विदेशी दवाइयां जल्द सस्ती हो सकती हैं। सूत्रों से पता चला है कि सरकार विदेशी दवाओं पर इंपोर्ट लाइसेंस शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क 50 फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी में है। अगर ऐसा होता है तो विदेशों से इन दवाओं को लाना बहुत ज्यादा महंगा हो जाएगा। लिहाजा ये कंपनियां देश में ही इन दवाओं को बनाएंगी। आपको बता दें कि भारत में हर साल 10,000 करोड़ रुपये की दवाएं आयात होती हैं। सरकार शुल्क बढ़ाने की तैयारी में है। शुल्क बढऩे से विदेशी दवा कंपनियां घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देंगी, जिससे दवाइयां सस्ती मिल सकेंगी। अगर ऐसा होता है तो कैंसर, डायबिटीज, हार्ट अटैक की दवाएं सस्ती होंगी। इंपोर्ट लाइसेंस शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क बढऩे से विदेशी मैन्युफैकचरर्स के लिए मुश्किल हो सकती है। इस फैसले से पहले सरकार दवा कंपनियों से सुझाव लेगी.इस फैसले के पीछे की वजह महंगी विदेशी दवाओं को सस्ता करना, पेटेंटेड दवाओं के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना, देश में खुद दवा बनाने पर जोर, दूसरे देशों पर आत्मनिर्भरता खत्म करना और फार्मा सेक्टर में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है।