लखनऊ
कैबिनेट की मंजूरी और वित्त विभाग से बजट जारी होने के बावजूद दो साल से सरकारी अस्पतालों (प्रांतीय चिकित्सा सेवा) के करीब 14000 डॉक्टरों को वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिला है। इसको लेकर डॉक्टरों में गहरी नाराजगी है। डॉक्टरों का आरोप है कि जीओ और कैबिनेट अप्रूवल के बाद सचिवालय स्तर पर आदेश की फाइल घुमाई जा रही है। उप्र प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए अप्रैल में बड़े आंदोलन की चेतावनी जारी कर दी है।

पदोन्नति न हो पाने पर भी डॉक्टरों को बढ़ा वेतनमान मिलता रहे इसके लिए उप्र सरकार ने समयबद्ध प्रोन्नत वेतनमान योजना का ऐलान वर्ष 2014 में किया था। इस पर 12 नवंबर 2014 को कैबिनेट की मुहर लगी और 24 नवंबर को वित्त विभाग ने शासनादेश जारी कर दिया। इसके मुताबिक प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के डॉक्टरों को चार वर्ष की सेवा के बाद 6600, 11 साल की सेवा के बाद 7600, 17 साल की सेवा के बाद 8700 और 24 साल की सेवा के बाद 8900 ग्रेड-पे मिलना शुरू होना था। शासनादेश जारी होने के बाद से डॉक्टर इंतजार कर रहे हैं लेकिन अब तक एक भी डॉक्टर को इसका लाभ नहीं मिल सका है।

2008 से मिलना था लाभ -शासनादेश के मुताबिक डॉक्टरों को इस योजना का लाभ वर्ष 2008 से दिया जाना था। इसका अमल शुरू होने पर करीब 600 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान था। सरकार ने इसे लेकर हरी झंडी भी दे दी। इसके बाद डॉक्टरों ने पता किया तो सचिवालय स्तर पर आंकड़े जुटाने का बहाना बनाया जाता रहा, लेकिन आदेश लागू नहीं किया गया।  प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष ने बताया कि डॉक्टरों को अगर इसका लाभ मिलना नहीं शुरू हुआ तो अप्रैल में किसी भी समय पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। यदि स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ती है तो फिर स्वास्थ्य विभाग इसके लिए दोषी होगा।