रांची (झारखंड) : बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के बाहर खुले मेडिकल स्टोर्स में ज्यादातर दुकानों पर फार्मासिस्ट नहीं है। इन्होंने किसी तरह जुगाड़ कर लाइसेंस तो ले रखा है किन्तु बिना फार्मासिस्ट के ही दवाओं की बिक्री कर रहे हैं। इसके चलते रिम्स में आने वालेे मरीजों के तीमारदारों को दवा लेने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। वहीं कई दुकानदार के रिम्स के डॉक्टरों के साथ-साथ गांठ भी है। मरीजों को वहीं से दवा लेने के लिए भेजा जाता है। ये दुकानदार ही अपने एजेंट को रिम्स में रखते हैं, जो रिम्स के मरीजों को अपनी-अपनी दुकान पर ले जाने के लिए परेशान करते हैं। मरीज के परिजन जानकारी के अभाव में और जल्दी के चक्कर में इन दुकानदारों के झांसे में आ जाते हैं। लोग इन दुकानों में दवा लेने या एजेंट के कहने पर चले जाते हैं और ठगी के शिकार हो जाते हैं।

रामगढ़ से आए एक मरीज के तीमारदार शंकर ने बताया कि डॉक्टर ने जल्दी से दवा लाने के लिए कहा था। इस कारण मैं चौक के मेडिकल स्टोर से दवा ले आया। डॉक्टर के कहने पर जब दवा वापस करने गया तो उसने पैसा भी रिटर्न नहीं किया। दवा ही लेनी पड़ती है। इस संबंध में स्टेट ड्रग्स कंट्रोल निदेशक सुरेन्द्र प्रसाद ने कहा कि मामले की अपने स्तर पर जांच करा कर जानकारी लेंगे।

कुछ मरीजों ने कहा कि कई बार कैमिस्ट शॉप पर जाकर जब डॉक्टर द्वारा लिखी दवा का पर्चा दिखाते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानों दोनों की आपस में गहरी मिलीभगत है। कई दवाएं ऐसी होती हैं जो चुनिंद कैमिस्ट पर ही मिलती है। ड्रग विभाग की ढीली निरीक्षण प्रक्रिया के कारण कैमिस्ट संचालकों के हौंसल बुलंद है। कुल मिलाकर इस सारे खेल में मरीज को छोड़ कर कोई दुखी नहीं है।