झांसी। कोरोना काल में जहां सभी कारोबारों की रफ्तार मंद पड़ गई थी, तो वहीं महामारी के प्रकोप के चलते दवा कारोबार अपने चरम पर पहुंच गया था। मुनाफा अधिक और नुकसान की गुंजाइश कम होने की वजह से लोगों का रुझान तेजी से इस कारोबार की ओर बढ़ा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले छह माह के भीतर मंडल के तीनों जनपदों में 405 नए मेडिकल स्टोर खुल गए हैं। इसके अलावा दवा की नई दुकानों के लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदनों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
बता दें कि दवा की दुकान के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा ऑनलाइन आवेदन लिया जाता है और प्रक्रिया पूरी होने पर ऑनलाइन ही जारी हो जाता है। दवा की फुटकर दुकान के लिए न्यूनतम 110 वर्गफुट जगह का होना जरूरी होता है। इसके लिए फार्मासिस्ट का होना भी जरूरी है। साल 2018 से फार्मासिस्टों का आधार कार्ड लिंक कर दिया गया है। इससे एक फार्मासिस्ट के सहारे एक दवा की दुकान ही संचालित की जा सकती है। जबकि, पहले एक फार्मासिस्ट का लाइसेंस कई दुकानों के काम आ जाता था। औषधि निरीक्षक- उमेश भारती ने बताया कि दवा कारोबार के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। इसके अलावा कई ऐसे लोगों ने भी दुकानें हाल ही में शुरू कर दी हैं, जो कई साल पहले से लाइसेंस लिए हुए थे। शर्तें पूरी करने पर ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत विभाग द्वारा लाइसेंस जारी किया जाता है।
कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर के दस्तक देने के साथ ही दवाइयों की मांग में तेजी से इजाफा हो गया था। घर-घर में दवाइयां पहुंच गईं थीं। कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों की दवाओं की बिक्री भी बढ़ गई थी। इससे दवा कारोबार में एकदम से उछाल आ गया था। इसी तेजी के चलते तमाम नए लोगों ने इस कारोबार में अपने कदम रख लिए हैं। कोरोना की दूसरी लहर से पहले मंडल के तीनों जनपदों में जहां मेडिकल स्टोरों की संख्या 2105 थी, तो अब ये बढ़कर 2510 पर पहुंच गई है। इनमें सबसे ज्यादा 293 मेडिकल स्टोर झांसी में खुले हैं। यहां मेडिकल कॉलेज स्थित होने व निजी अस्पतालों की संख्या अधिक होने की वजह से पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र के मरीज आते हैं।
इससे दवा की दुकानें भी बढ़ी रहती है, जिससे यहां नए मेडिकल स्टोर सबसे ज्यादा खोले गए हैं। इसके अलावा जालौन में 86 और ललितपुर में 26 नए मेडिकल स्टोर अस्तित्व में आए हैं। विदित हो कि मेडिकल स्टोर का लाइसेंस खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पांच साल के लिए जारी किया जाता है। इसके बाद इसका नवीनीकरण कराना होता है। नए मेडिकल स्टोरों में से कई ऐसे हैं, जिनका लाइसेंस दो-तीन साल पहले ले लिया गया था, परंतु कारोबार शुरू नहीं हुआ था। लेकिन, कोरोना काल के दरम्यान ऐसे लोगों ने भी अपनी दवा की दुकानें शुरू कर लीं।