पाली। मरीजों को कोरोना संक्रमण का डर बताकर मरीजों से हजारों रुपए ठगने के आरोप में एक झोलाछाप पकड़ा गया है। सादड़ी में चिकित्सा विभाग और पुलिस कार्रवाई में पकड़ा गया मां आशापुरा मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल का संचालक राजेंद्र जे. पाल फर्जी डिग्रियों के सहारे ढाई साल से मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा था। आरोपी ने जनवरी 1986 में पुणे के आम्र्ड मेडिकल कॉलेज से एमडी की। इसके बाद अक्टबूर 1988 में मुंबई विद्यापीठ से एमबीबीएस किया, जबकि एमबीबीएस करने के बाद ही एमडी की जा सकती है। आरोपी ने इन डिग्रियों को लेकर पुलिस की पूछताछ में स्वीकार किया है कि दोनों डिग्रियां उसने पुणे से ही एक लाख रुपए में ऑनलाइन मंगवाई थीं। कभी खुद को कश्मीरी विस्थापित परिवार तो कभी दिल्ली का बताने वाला यह झोलाछाप पुलिस को लगातार अपने बयानों से भटका रहा है। कोरोना का डर बताकर उसने कई मरीजों से 40 से 50 हजार रुपए तक वसूल लिए थे। जानकारी के अनुसार सादड़ी के जूना मार्ग पर स्थित मां आशापुरा मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल को लेकर शिकायतें मिलने पर सीएमएचओ डॉ. आरपी मिर्धा ने टीम के पुलिस के साथ कार्रवाई की थी। उसकी डॉक्टरी पर शक होने पर सीएमएचओ ने एमबीबीएस को लेकर कई सवाल किए। यहां तक कि खुद को डॉक्टर बताने वाले इस व्यक्ति से पुलिस ने सिजेरियन तथा डिग्री की स्पेलिंग लिखवाई तो यह बता नहीं पाया था। इस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। झोलाछाप डॉक्टर ने मई 2018 से मार्च 2019 में सुमेरपुर के प्रमुख भगवान महावीर अस्पताल में खुद को वरिष्ठ फिजिशियन बताते हुए नौकरी की थी। इस दौरान एक मरीज को टाइफाइड बताते हुए उसे 13 यूनिट ब्लड चढ़ा दिया था। इसके बाद भी लगातार हालात खराब होने पर अस्पताल प्रबंधन को भी शक हुआ। इस बीच उसने नौकरी छोड़ दी। इस दौरान पता ही नहीं चला कि यह वास्तव में डॉक्टर है या नहीं। जानकारी में आया कि उक्त फर्जी डॉक्टर ने सुमेरपुर में भगवान महावीर अस्पताल के समीप ही मां आशापुरा मल्टी स्पेशियलिटी नाम से 20 बेड का अस्पताल खोल लिया।