नई दिल्ली। कोरोना के इलाज में कारगर दवाई की खोज के लिए आयुर्वेद समेत भारतीय चिकित्सा पद्धति की दवाएं भी खंगाली जा रही हैं। पूरे देश के आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होमियोपैथ के डाक्टरों व विशेषज्ञों ने आयुष मंत्रालय को 3500 से अधिक दवाइयों और उसके फार्मूले को कोरोना के इलाज में कारगर होने का दावा करते हुए उसका ट्रायल करने का प्रस्ताव भेजा है। आयुष मंत्रालय इन प्रस्तावों में 100 से अधिक सबसे सटीक लगने वाले फार्मूले को कोरोना के इलाज में ट्रायल के तौर पर शामिल पर विचार कर रहा है। दरअसल, 28 मार्च को आयुष डाक्टरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने और इसके इलाज का बेहतर विकल्प ढूंढने का आह्वान किया था। इसके बाद आयुष मंत्रालय ने सभी भी डाक्टरों व विशेषज्ञों को इसके प्रस्ताव भेजने को कहा कि ताकि उन दवाओं और फार्मूलेशन पर ट्रायल कर उसकी उपयोगिता को वैज्ञानिक पैमाने पर परखा जा सके। आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कि इन सभी प्रस्तावों में से सबसे बेहतर लगने वालों की पहचान की जा रही है। कोरोना की दवा की खोज के लिए आयुष मंत्रालय 50 से अधिक प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट कर रहा है। कोरोना के मरीजों को तीन से छह महीने तक आयुष की दवाओं को देकर मरीज पर पडऩे वाले प्रभाव के आंकड़े जुटाए जाएंगे। सबसे बेहतर साबित होने वाली दवा को बाद में कोरोना के इलाज में आधिकारिक रूप से शामिल किया जा सकता है। इसके पहले मार्च में ही आयुष मंत्रालय ने कोरोना के बढ़ते खतरे से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं और औषधियों के इस्तेमाल की सलाह दे चुका है। इनमें होमियोपैथ दवा आर्सेनिकम अलबम 30 भी शामिल है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह दवा कोरोना के इलाज के लिए नहीं है, बल्कि फ्लू जैसी बीमारी से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती है।