हिसार – जिले में कोरोना के नए मामले अभी भी दिन प्रतिदिन सामने आ रहे है। इस महामारी की गम्भीरता को देखते हुए अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीजों की सहूलियत के लिए अपने अस्पतालों में विशेष प्रबंध किए हैं। दरअसल डॉक्टरों के अनुसार फेफड़ों को उचित मात्रा में ऑक्सीजन मिलती रहे, इस के लिए चाहे वे बीमार हो या स्वस्थ सभी को एक बहुत ही आसान सा व्यायाम करते रहना चाहिए। इसके लिए सभी को खाना खाने से पहले आधे से दो घंटे तक पेट के बल लेटना चाहिए। ऐसा करने से फेफड़ों के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन पूरी तरह से पहुँचती हैं। उन्होंने बताया कि आम लोगों के साथ साथ अस्पताल में दाखिल बहुत ही गम्भीर रूप से पीड़ित मरीजों पर उन्होंने यह प्रयोग आजमाया है जिसके बहुत ही अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। इस के साथ साथ सन्तुलित व पोष्टिक भोजन सभी को लेते रहना चाहिए और कोरोना नाम की इस महामारी को बिल्कुल भी हल्के या मज़ाक में नहीं लेना चाहिए।

डॉक्टरों के मुताबिक वैसे तो हल्की खाँसी, जुकाम व बुखार के मरीजों को अधिक समस्या तो नहीं आती, फिर भी यदि ज़्यादा खांसी, जुकाम व तेज बुखार आए और ऑक्सीजन लेवॅल 94 प्रतिशत से कम रहे तो तुरंत अस्पताल में आकर डॉक्टर से सम्पर्क कर ईलाज शुरू करवाना चाहिए क्योंकि ये निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। कभी कभी शुरुआती दौर में निमोनिया का पता लगाना मुश्किल होता है जिसके लिए सीटी स्कैन की मदद ली जाती है जो निमोनिया को शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट कर लेता है। निमोनिया के अलावा शूगर, किडनी, हार्ट या अन्य बीमारियों से ग्रसित हाई रिस्क वाले मरीजों को भी जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लेकर अपनी जांच करवानी चाहिए उन्हें बीमारी की गम्भीर अवस्था में जाने से बचाया जा सके।

बीमारी की गम्भीरता को देखते हुए कोरोना का हल्का सा भी लक्षण आने के तीन से पांच दिनों के अन्दर डॉक्टर से सम्पर्क कर लेना चाहिए। डॉ ने बताया कि अगर निमोनिया हो भी जाता है तो इस हालत में मरीज और उसके परिजनों को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि निमोनिया होने के बावजूद भी आमतौर पर बहुत से मरीज स्वस्थ हो जाते हैं। राहत की बात यह है कि लगभग 95 प्रतिशत कोरोना के रोगी स्वस्थ हो कर अपने घरों को लौट भी रहे हैं। इस रिकवरी रेट को देखते हुए जहां अस्पताल के डॉक्टरों की पूरी टीम व स्टॉफ सन्तुष्ट व गर्व महसूस कर रहा है वहीं कोरोना महामारी को हरा कर स्वस्थ हो रहे मरीजों के चेहरे पर भी सन्तुष्टि के साथ साथ डॉक्टरों व स्टॉफ के प्रति आभार दिखाई दिया।

डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के ज़्यादातर मरीजों का ईलाज तो उनके घर पर ही हो जाता है जबकि केवल गम्भीर रूप से बीमार हाई रिस्क वाले मरीजों (60 साल से अधिक उम्र के लोग, शुगर,हार्ट,किडनी,के मरीज और जिनकी आक्सीजन लेवल 94% से कम है) को ही अस्पताल में दाखिल करने के बाद उनका ईलाज किया जाता है। दरअसल कोरोना के मरीज ईलाज के लिए शहर के अस्पतालों की ओर अपना रुख कर रहे हैं।