आगरा। संक्रामक बीमारी कोरोना के इलाज में होम्योपैथिक इलाज रामबाण साबित हो सकता है। आगरा में हुए शुरुआती प्रयासों में यह बात निकल कर सामने भी आयी है। लिहाजा इस पर आगे जांच करने को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय से अनुमति मिल गई है। आइसीएमआर से अंतिम मुहर लगते ही होम्योपैथी चिकित्सा के जरिए कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने का प्रयोग शुरू हो जाएंगे।

यह कवायद शहर के होम्योपैथी चिकित्सक व कुबेरपुर, नवलपुर स्थित नेमीनाथ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार गुप्ता कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना कोविड-19 के इलाज में जहां अन्य दवाओं को सफलता नहीं मिल पा रही, वहीं कुछ होम्योपैथिक दवाएं कारगर साबित हो रही है। कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट लेकर उन्होंने ऑब्‍जर्वेशन स्टडी की, जिसमें यह निकल कर सामने आया है। लिहाजा उन्होंने ऐसे मरीजों पर सीधे होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोग के लिए आयुष मंत्रालय से अनुमित मांगी थी, जो 21 अप्रैल को मिल चुकी है। अब अंतिम अनुमति आइसीएमआर से मंगलवार को मिल चुकी है। अब सिर्फ जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से हरी झंडी का इंतजार है, इसके बाद वह कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों का इलाज शुरू कर देंगे। वह सेंट्रल रिसर्च काउंसिल ऑफ हैम्योपैथी के साथ मिलकर होम्योपौथिक दवाओं से उनका इलाज करना शुरू करेंगे।

आयुष मंत्रालय और आइसीएमआर को भेजी रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने क्‍वारंटाइन मरीज की प्रोफाइल एक्सेस के लिए अनुमति मांगी है, ताकि उनमें से आधे कोविड पॉजिटिव मरीजों को हॉम्योपैथी दी जाएगाा और आधे मरीजों को सामान्य इलाज दिया जाएगा। इसके बाद देखा जाएगा कि दोनों में किस दवा का प्रभाव ज्यादा प्रभावी है। इसका असर यह होगा कि जहां कोरोना से मृत्यु दर चार होगी, वह घटकर एक या दो फीसद तक आ जाएगा।