मुंबई। कोरोना संक्रमण के सुरक्षा उपकरण अब देश में ही बनेंगे। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच फार्मा सचिव पीडी वाघेला ने कहा कि देश में कोविड-19 से निपटने के लिए सभी जरूरी मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। देश में कोविड-19 पर आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के लिए अधिकार प्राप्त समूह का नेतृत्व कर रहे वाघेला ने कहा कि वेंटिलेटर, पीपीई, मास्क, ऑक्सीजन और टेस्ट किट की वैश्विक स्तर पर बड़ी मांग है। भारत काफी हद तक इनका आयात कर रहा था। हमारी रणनीति यह है कि हम इस मौके का इस्तेमाल करते हुए अपनी प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमता को विकसित करें। मसलन, जून तक 75,000 वेंटिलेटर की जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार ने वेंटिलेटर निर्माण करने की प्रक्रिया के लिए सात कंपनियों की पहचान की है। वहीं करीब 60,000 से अधिक वेंटिलेटर ऑर्डर किए गए हैं जिनमें से 99 फीसदी की आपूर्ति स्थानीय निर्माताओं द्वारा की जाएगी। वाघेला ने कहा कि हमें पहला लॉट मिल चुका है और अब इनका परीक्षण किया जा रहा है। हमें इस महीने में 15,000 वेंटीलेटर मिलने चाहिए। सरकार ने पहली बार ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए भी ऑर्डर भी दिए हैं और ये सभी घरेलू विनिर्माताओं को दिए गए हैं। इनकी जरूरत आईसीयू में भर्ती होने वाले सभी मरीजों को पड़ेगी। फार्मा विभाग जरूरत पडऩे पर औद्योगिक ऑक्सीजन को चिकित्सा उपयोग में लाने के लिए बदलने पर भी विचार कर रहा है। भारत ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के निर्माण की क्षमता को भी बढ़ा दिया है। मध्य अप्रैल तक रोजाना 31,270 पीपीई किट तैयार करने की क्षमता थी जिसका घरेलू उत्पादन 30 अप्रैल तक बढक़र रोजाना 1.86 लाख हो गया है। हमारे देश में पहले कोई भी पीपीई निर्माता नहीं था लेकिन अब हम रोजाना एक लाख से अधिक पीपीई तैयार कर रहे हैं। आरटी-पीसीआर टेस्ट की कुल मांग अगले दो महीने तक करीब 35 लाख आंकी गई है जबकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 21.35 लाख किट के ऑर्डर दिए हैं। वाघेला ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का उत्पादन भी बढ़ा दिया गया है जिसका इस्तेमाल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। मार्च तक इसके 12.23 करोड़ टैबलेट का उत्पादन होता था जो मई में बढक़र 30 करोड़ टैबलेट हो गया।