नई दिल्ली। अब जीन कुंडली से यह जान सकेंगे कि आने वाले समय में आपको या आपकी संतानों को कौन-सी आनुवाांशिक बीमारी हो सकती है। यह भी जान सकेंगे कि एक ही बीमारी से पीडि़त दो अलग-अलग मरीजों में से किसके लिए कौन सी दवा ज्यादा असरदार होगी। जीन कुंडली बनाना दरअसल किसी व्यक्ति के जीनोम को सीक्वेंस कर लेना है। जीन सीक्वेंस कराने के लिए अभी 70 लाख रुपए का खर्च आता है, लेकिन अब देश में ही करीब एक लाख रुपए में इसे कराया जा सकेगा। आने वाले दिनों में जब इसकी मांग बढ़ेगी तो जीन कुंडली बनवाने का खर्च और भी कम हो जाएगा।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की हैदराबाद और दिल्ली की लैब ने छह महीने के भीतर देशभर से एकत्र किए गए 1008 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग पूरी कर ली है। सैंपल देने वाले सभी लोगों को सीएसआईआर की आईजीआईबी लैब ने इंडिजेन कार्ड भी जारी किया है। सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लैब में समय सीमा के अंदर जीनोम सीक्वेंस करने में सफलता पाई है। अभी तक जीन सीक्वेंस तैयार करने में सालों लगते थे। इंडिजेन कार्ड में व्यक्ति विशेष के जीनोम का पूरा डेटा उपलब्ध है, जिसे एक विशेष एप व क्लीनिकल एक्सपर्ट की मदद से इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पता चल सकता है कि आनुवांशिक रूप से होने वाली बीमारियों में से किस बीमारी का जीन आपके शरीर में मौजूद है। यदि ऐसे व्यक्ति की शादी इसी किस्म के जीन वाले व्यक्ति से होती है, तो संतान को वह रोग हो सकता है। इसलिए विवाह तय करने या संतान की योजना बनाने में इंडिजेन कार्ड यानी जीन कुंडली उपयोगी साबित हो सकती है। गौरतलब है कि किसी व्यक्ति की आंख, त्वचा, बालों के रंग, नाक व कान के आकार, आवाज, लंबाई जैसे सभी लक्षणों से लेकर बीमारियों का होना या न होना जीन से तय होता है। जीन हर प्राणी की कोशिका में होते हैं। शरीर की हरेक कोशिका में मौजूद 3.3 अरब जीन को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है। सभी जीन को क्रमबद्ध करना जीन कुंडली कहलाता है।