नई दिल्ली। खांसी की दवा के धोखे में आप कहीं जहर का सेवन तो नहीं कर रहे हैं। दरअसल, सरकार की जांच में 100 से अधिक कफ सिरप फेल पाई गई हैं।
यह है मामला
रिपोर्ट में बताया गया है कि गांबिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार बताई गईं खांसी की सिरप में जो टॉक्सिन मौजूद थी, वही इन सिरप में भी मिला है।
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के अनुसार डाइएथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्राइकोल पाए जाने की वजह से 100 कंपनियों के कफ सिरप को नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी की श्रेणी में रखा गया है। डीईजी/ईजी, माइक्रोबायोलॉजिकल ग्रोथ, पीएच वॉल्यूम के आधार पर कफ सिरप को एनएसक्यू की श्रेणी में रखा गया है।
353 को एनएसक्यू की श्रेणी में रखा
बताया गया है कि 7087 बैच दवाओं की जांच की गई और इनमें से 353 को एनएसक्यू की श्रेणी में रखा गया। वहीं, 9 सैंपल में डीईजी और ईजी की मात्रा थी। गुणवत्ता सही न होने से डीईजी और ईजी की उपस्थिति के अलावा असुरक्षित सप्लाई चेन और प्रोपिलीन ग्लाइकोल बल्क टेस्टिंग में फेल होने को बताया गया है।
गौरतलब है कि कई देशों में बच्चों की मौत के बाद भारत में बनने वाली कफ सिरप पर सवाल खड़े किए गए हैं। इसके बाद सरकारी और प्राइवेट लैब्स में इनकी जांच की जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अक्टूबर 2022 में भारत की कफ सिरप पर सवाल उठाए थे।
बताया गया था कि गांबिया में कफ सिरप की वजह से बच्चों की किडनी फेल हुईं और 70 बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद से देशभर में कफ सिरप बनाने वाली यूनिट्स की जांच की जा रही है। कंपनियों को ग्रोपीलीन ग्लाइकोल के इस्तेमाल को लेकर जानकारी भी दे दी गई है। डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेड ट्रेड ने भी कफ सिरप के निर्यातकों को निर्देश दिया गया है कि दवा विदेश भेजने से पहले सरकारी लैब में जांच करवाई जाए।