तय कीमत में इंप्लांट देने से कंपनी ने किया मना – कई मरीजों को लगाए साधारण किस्म के इंप्लांट
नई दिल्ली। एम्स में घुटनों का इलाज कराने आए साम मरीजों को साधारण किस्म के इंप्लांट लगाए गए हैं। जबकि सरकार ने पंजीकृत कंपनी से अपने यहां डेढ़ लाख रुपये की कीमत वाला ट्राइथलॉन इंप्लांट सप्लाई किया जाना निर्धारित कर रखा है। इस बात का खुलासा होने पर पता चला कि संबंधित कंपनी ने सरकार द्वारा तय कीमत में इंप्लांट देने से मना कर दिया था। इसी कारण सात लोगों के घुटनों में बेस्ट क्वालिटी की जगह दूसरा इंप्लांट लगाया गया। ऐसी ही समस्या कई और अस्पतालों में सुनने को मिली हंै। उधर, डॉक्टरों का कहना है कि डेढ़ लाख रुपये कीमत के ट्राइथलॉन इंप्लांट मंगाने का सरकार का फैसले स्वागत योग्य है। निश्चित रूप से इसका मरीजों को फायदा होगा। सरकार को घुटने के साथ-साथ हिप (कूल्हा) इंप्लांट में भी कैपिंग लानी चाहिए।

डॉक्टरों ने इसके लिए हेल्थ सेक्रेट्री को पत्र भी लिखा है। एम्स के ऑर्थोपेडिक ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सीएस यादव ने बताया कि कैपिंग के बाद उन्होंने सात घुटने बदलने की सर्जरी की। सातों मरीजों में ट्राइथलॉन का इंप्लांट लगना था। यह इंप्लांट लगभग डेढ़ लाख में आता है। सप्लाई करने वाली कंपनी का कहना था कि यह बेस्ट क्वॉलिटी का इंप्लांट है और इसे इतने कम पैसे में नहीं दे सकते हैं। इसके बाद सभी मरीजों में दूसरी कंपनी का इंप्लांट लगाया गया, जिसकी कीमत पहले 80 हजार थी। उन्होंने कहा कि हमें हर हाल में मरीजों के हित का ख्याल रखना चाहिए। अपोलो के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर यश गुलाटी ने बताया कि कोई भी कंपनी कैपिंग रेट से बाहर इंप्लांट बेच नहीं सकती है। हर किसी को सरकार का फैसला मानना होगा। हमें जो इंप्लांट मिलेगा हम सर्जरी करेंगे। दिल्ली में तो पहले से ही इंप्लांट महंगा है। जो इंप्लांट गुवाहटी में 72 हजार रुपये में मिलता है वह दिल्ली में एक लाख में मिलता है।
सभी अस्पतालों में इंप्लांट की कीमत समान हो
डॉक्टरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि हर अस्पताल में इंप्लांट की कीमत एक समान होनी चाहिए। अभी हर अस्पताल में इसकी कीमत अलग-अलग है। अगर एक कीमत हो जाए तो निश्चित रूप से डॉक्टरों का कमिशन बंद हो जाएगा। घुटने की तरह हिप इंप्लांट पर भी कैपिंग होनी चाहिए। सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है। घुटने सहित बाकी दूसरे इंप्लांट की कीमत भी तय करने के लिए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखा गया है। घुटना ट्रांसप्लांट में जितना खर्च होता है, उतना ही हीप ट्रांसप्लांट में भी खर्च होता है, इसलिए इस पर कैपिंग की जरूरत है।