पटना। देश भर में कोरोना ने एक बार फिर से अपनी एंट्री वापस कर ली है। जिससे अब आम लोगों से लेकर हर वर्ग के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पद रहा है। और सबसे बड़ी मुसीबत तो ये है कि कोरोना मरीजों के इलाज में प्रयोग होने वाली दवा की अब फिर से ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो गई है। बताना लाजमी है कि बिहार में भी कोरोना के गंभीर रोगियों के इलाज में उपयोगी रेमडेसिविर की मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
शनिवार की शाम से रविवार तक प्रदेश की सबसे बड़ी दवा मंडी गोविंद मित्रा रोड में रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं है। दरअसल सहायक औषधि नियंत्रक विश्वजीत दास गुप्ता ने बताया कि पिछली बार मरीजों के प्रिस्क्रिप्शन जमा कर थोक दुकानों से रेमडेसिविर व टॉस्लीजुमैप या इटिलोजुमैप इंजेक्शन दिए जा रहे थे। ब्लैक मार्केटिंग होने पर इस बार सीधे सिर्फ उन अस्पतालों को ये दवाएं दी जा रही हैं, जिनमें कोरोना संक्रमितों का उपचार किया जा रहा है। कंपनी द्वारा बहुत कम मात्रा में आपूर्ति की जा रही है। रविवार को जायडस कंपनी की 400 वाइल दवा आ सकती है।
सोमवार तक एजेंसियों तक दवा पहुंच जाने की उम्मीद है। हालांकि, औषधि विभाग कोरोना का उपचार कर रहे एम्स पटना और बड़े निजी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध होने की बात कह रहा है। वहीं, जिन अस्पतालों ने रेमडेसिविर खरीद कर नहीं रखी गई है वहां भर्ती मरीजों के स्वजन प्रिस्क्रिप्शन की कॉपी लेकर दवा के लिए भटक रहे हैं। अस्पतालों में इसकी थोक कीमत से तीन गुना ज्यादा एमआरपी दिखाकर पैसे वसूले जा रहे हैं।
बता दें कि रेमडेसिविर एक न्यूक्लियोसाइड राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) पॉलीमरेज इनहिबिटर इंजेक्शन है। इबोला वायरस संक्रमण में होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए इसे बनाया गया था। अमेरिका ने गत वर्ष फरवरी में कोरोना संक्रमितों के उपचार पर इसका परीक्षण किया और पाया कि यह कोरोना के गंभीर मरीजों में कारगर है। यह दवा शरीर में सार्स कोव-2 वायरस की संख्या तेजी से बढ़ाने वाली रेप्लीकेशन प्रक्रिया को बाधित कर देती है। इससे शरीर में वायरस लोड कम होने लगता है और रोगी अपेक्षाकृत जल्द ठीक होने लगते हैं।
गौरतलब है कि सबसे अधिक गंभीर रोगियों का उपचार करने वाले एम्स पटना में 12 मार्च से अब तक एक माह से कम समय में 1200 वाइल रेमडेसिविर की आपूर्ति की गई है। इसके बाद सबसे ज्यादा खपत रूबन मेमोरियल और इसके बाद पारस हॉस्पिटल में हुई है। जगदीश, फोर्ड, बिग अपोलो, कुर्जी और सहयोग हॉस्पिटल में भी रेमडेसिविर उपलब्ध है।