अमेरिका। कोरोना वायरस की जंग में बड़ी सफलता हाथ लगी है। कोरोना वैक्सीन का पहला ट्रायल कामयाब रहा। आसान शब्दों में कहें तो दवा ने असर दिखाया है। संक्रमण के बढ़ती चिंता को देखते हुए दुनियाभर के एक्सपर्ट टीके की तलाश कर रहे हैं। कई तरह के ट्रायल हो रहे हैं। अमेरिका की बायोटक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना इंक ने दावा किया है कि उसका पहला ट्रायल सफल हुआ है। वैक्सीन से शरीर में एंटीबॉडीज तैयार हो रही हैं। ये एंटीबॉडीज वायरस के हमले को काफी कमजोर बना देती हैं। पहले ह्यूमन ट्रायल के सफल होने के बाद अब दूसरी स्टेज की तैयारी है। ये पहला ट्रायल काफी छोटे ग्रुप पर किया गया था। अब इसे बड़े स्तर पर करने की तैयारी है, लेकिन, कोरोना के खौफ के बीच यह अच्छी खबर है।
वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग स्टेज में होता है। इसमें देखा जाता है कि दवा का शरीर पर कैसा असर होता है। साथ ही संक्रमण को दूर करने में कितना टाइम लगता है। स्टेज के मुताबिक, यह भी ध्यान रखा जाता है कि इसके कोई साइड इफेक्ट्स तो नहीं हैं। सिएटल शहर में 45 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण किया गया था. उन्हें वैक्सीन के दो कम मात्रा वाले शॉट्स दिए गए। इस दौरान उनके शरीर में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडीज दिखाई दीं। ये नतीजे पहले अप्रूव हो चुके किसी टिपिकल वैक्सीन की तरह ही दिख रहे हैं। मॉर्डेना के CEO स्टीफन बेंसल के मुताबिक, एंटीबॉडी बनना एक अच्छा लक्षण होता है, जो वायरस को बढ़ने से रोक सकता है। मॉडर्ना काफी पहले से इस वैक्सीन पर काम कर रही है। वैक्सीन को वायरस या उसके प्रोटीन का असक्रिय हिस्सा लिया जाता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए उसे वैक्सीन फॉर्म में लाया जाता है। जब ये शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो शरीर में एंटीबॉडीज डेवलप होते हैं।
मॉडर्ना इसके लिए RNA तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। वैक्सीन के अंदर इंजेक्ट करते ही RNA शरीर की कोशिकाओं के साथ एंटीबॉडी बनाने लगते हैं। वैसे दूसरी बीमारियों के लिए पहले अप्रूव हो चुकी वैक्सीन की तुलना में RNA तकनीक नई है। जल्द से जल्द बीमारी का इलाज खोजने के लिए ये तरीका निकाला गया। कंपनी के मुताबिक, ट्रायल में वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स भी दिखाई दिए हैं। वैक्सीन का डोज बढ़ाने पर बुखार, उल्टियां, मांसपेशियों में दर्द, पेट दर्द, सिरदर्द जैसे साइड इफेक्ट्स दिखाई दिए थे। वहीं, मिडिल डोज का इंजेक्शन देने पर त्वचा लाल हो गई थी. हालांकि, इन साइड इफेक्ट्स को खत्म होने में एक दिन से भी कम का समय लगा। वैक्सीन का दूसरा चरण जुलाई में हो सकता है।
कंपनी का कहना है कि वे इसे जल्दी से जल्दी करने की कोशिश करेंगे। ये 600 लोगों पर होगा। इसमें वैक्सीन की अलग-अलग डोज देकर देखा जाएगा कि कम से कम साइड इफेक्ट के साथ वैक्सीन की कितनी मात्रा तय की जानी चाहिए। वैसे आमतौर पर पहले चरण के ट्रायल के बारे में इतनी चर्चा नहीं की जाती है लेकिन चूंकि कोरोना से पूरी दुनिया प्रभावित है और किसी सकारात्मक खबर के इंतजार में है, इसलिए मॉडर्ना ने फर्स्ट ट्रायल के बारे में भी विस्तार से बताया है।मॉडर्ना दूसरा चरण में इस बात पर गौर करेगी कि दवा या वैक्सीन की खुराक कितनी मात्रा में पर्याप्त रहेगी कि उसका कोई साइड इफेक्ट न हो. ट्रायल में काफी बारीकी से देखा जाता है कि शरीर दवा का रिएक्शन कैसा है। दूसरा चरण ही यह तय करता है कि दवा को कैसे देना है और कितनी मात्रा में देना है।