भोपाल। कोरोना महामारी के दौर में गला साफ करने की दवा (गारगल) की रिकॉर्ड बिक्री हुई है लेकिन, बाकी दवाओं का कारोबार आधा रह गया है। मेडिकल कारोबारियों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान आमजन घर के अन्दर है। जिसके कारण से मौसमी बीमारियों से भी बचा है। तभी तो इस दौरान खांसी, जुकाम, बुखार, एलर्जी, उल्टी, दस्त जैसी बीमारी के मरीज बहुत कम आए हैं। इसके अलावा निजी चिकित्सकों के क्लिनिक बंद रहने से भी अन्य तरह के रोगों के मरीज कम आने से दवा व्यापार पर बड़ा असर पड़ा है। इसका अनुसार जिले के प्रमुख दवा स्टाकिस्ट से लगा सकते हैं पहले उनकी एक माह की बिक्री करीब 1.40 करोड़ रुपए थी, जो अब 95 लाख रुपए रह गई है। जिले के अन्य स्टाकिस्ट के यहां भी दवाओं की बिक्री इसी अनुपात से कम हुई है।
कोरोना के संक्रमण में गला खराब होने या खांसी होने का प्रमुख लक्षण है। जिसके कारण इन दिनों गला साफ करने की दवा बड़ी मात्रा में बिकी है। मेडिकल काउंटरों पर इसकी बिक्री रिकॉर्ड रही है। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हर किसी ने गारगल खरीदने में सोच-विचार नहीं किया। किसी चिकित्सक से फोन पर भी सलाह ली तो चिकित्सकों ने भी मरीज को कोई रिस्क नहीं लेने का सुझाव दिया। पहले अस्पताल में दिखाने और गारगल करना जरूरी बता दिया। इस कारण गला साफ करने की दवाओं की बिक्री बढ़ी है।
जिले में बीपी व शुगर की दवाओं की बिक्री बराबर रही है। हालांकि बीपी शुगर के भी नए मरीज सामने कम आए हैं। जानकारों के अनुसार चिकित्सकों के पास मरीज कम आए हैं। जिसके कारण बीपी व शुगर के नए मरीज चिह्नित नहीं हो सके। ऐसे में नए मरीज तो बहुत कम आए लेकिन, पुरानों को नियमित दवा खानी पड़ती है। ऐसे में बीपी व शुगर की दवा भी बराबर बिकी हैं।
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कोरोना के संक्रमण में गला खराब होने या खांसी होने का प्रमुख लक्षण है। जिसके कारण इन दिनों गला साफ करने की दवा बड़ी मात्रा में बिकी है। मेडिकल काउंटरों पर इसकी बिक्री रिकॉर्ड रही है। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हर किसी ने गारगल खरीदने में सोच-विचार नहीं किया। किसी चिकित्सक से फोन पर भी सलाह ली तो चिकित्सकों ने भी मरीज को कोई रिस्क नहीं लेने का सुझाव दिया। पहले अस्पताल में दिखाने और गारगल करना जरूरी बता दिया। इस कारण गला साफ करने की दवाओं की बिक्री बढ़ी है।
जिले में बीपी व शुगर की दवाओं की बिक्री बराबर रही है। हालांकि बीपी शुगर के भी नए मरीज सामने कम आए हैं। जानकारों के अनुसार चिकित्सकों के पास मरीज कम आए हैं। जिसके कारण बीपी व शुगर के नए मरीज चिह्नित नहीं हो सके। ऐसे में नए मरीज तो बहुत कम आए लेकिन, पुरानों को नियमित दवा खानी पड़ती है। ऐसे में बीपी व शुगर की दवा भी बराबर बिकी हैं।
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