रोहतक: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और उनकी पूरी टीम सरकार के 1000 दिनों के कामों का बड़े-बड़े आयोजन कर बखान कर रही है। अखबार-चैनलों में भारी-भरकम विज्ञापन दिए जा रहे हैं लेकिन राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज लेने वाले मरीजों पर सरकार के 1000 दिन बाद आफत सिर पर आन पड़ी। राज्य के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की स्कीम को खर्चीला कर दिया है। मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना का लाभ नहीं मिलेगा जनता को इलाज चाहिए तो पूरा पैसा चुकाना पड़ेगा।
यह अलग बात है कि प्राइवेट लैब के मुकाबले बहुत कम रेटों की सूची जारी कर सरकार वाहवाही लूटने का प्रयास कर रही है बावजूद फैसले का न केवल राजनीतिक-सामाजिक जगत बल्कि आम जनता के बीच भी घोर विरोध हो रहा है। गुस्से में लोग बोल रहे हैं कि आए दिन कार्यक्रमों पर लाखों-करोड़ों रुपये उड़ाने वाली सरकार के खजाने में केवल गरीबों के लिए ही पैसा नहीं है। अब तक की सरकारें भी तो लोगों को जैसा भी सही मुफ्त इलाज दे रही थी। जनता का कहना है कि मुख्यमंत्री खट्टर ने अपनी ही पार्टी के प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी की सस्ती स्वास्थ्य सेवा मुहिम को पलीता लगाया है।
हैरानी की बात ये कि लोगों को बेहतर और सस्ती चिकित्सा सेवा देने के बड़े-बड़े बयान देने वाले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कुछ नहीं बोल रहे। छोटी-छोटी राजनीतिक बातों पर टवीट कर और बयान देकर चुटकी लेने वाले विज मरीजों की जेब पर सरकार द्वारा बढ़ाए गए खर्च पर पूरी तरह ‘खामोश’ हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा जनता का स्वास्थ्य का अधिकार छीन रही है। सरकारी अस्पतालों में टेस्ट और बिस्तर पर शुल्क लगाने वाला कदम प्राइवेट अस्पताल और लैब को फायदा पहुंचाने वाला प्रतीत होता है। क्योंकि सरकारी अस्पताल में लोग भीड़ के बावजूद इलाज के लिए घंटों केवल इसीलिए खड़े रहते थे कि जांच के पैसे नहीं लगेंगे। भाजपा सरकार के इस फैसले से लोग सरकारी अस्पतालों से दूरी बनाएंगे और मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों की सीढिय़ा चढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि झूठे प्रचार पर करोड़ो रुपये खर्च करने से कुछ नहीं होगा। जब मौका आएगा तो जनता हर काम का हिसाब मांगेंगी। रोहतक सिविल सर्जन डॉ. दीपा जाखड़ ने बताया कि सरकारी अस्पताल में जांच शुल्क लगाने के आदेश लागू हो चुके हैं। अब मुफ्त इलाज जैसी कोई व्यवस्था नहीं है।