नई दिल्ली। राजधानी स्थित एम्स अब आपके घर में पीने के पानी की भी जांच करेगा। इससे पता चल सकेगा कि आपको कौन सी बीमारी है। पर्यावरण में मौजूद हेवी मेटल्स की वजह से होने वाली बीमारी का पता लगाने के लिए एम्स ने यह पहल की है। इसके लिए दुनिया में अपनी तरह की पहली क्लिनिकल इकोटॉक्सिकोलॉजी फैसिलिटी की शुरुआत की गई है। पर्यावरण में मौजूद हेवी मेट्ल्स में आर्सेनिक, मर्करी, लैड, कैडियम, यूरेनियम, आयरन जैसे जहरीले तत्व हैं, जो कैंसर, किडनी, हार्ट से जुड़ी बीमारियों की वजह है। लेकिन अभी तक यह जानने के लिए जांच नहीं हो पाती थी। अब एम्स में ऐसे मरीजों के ब्लड और यूरिन की जांच के साथ उनके घर के पानी की भी जांच की जाएगी और यह पता लगाने की कोशिश होगी कि पानी में कोई हेवी मेटल्स तो नहीं है।
इस बारे में डॉक्टर ए. शेरिफ ने लेसेंट का हवाला देते हुए कहा कि नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज की मुख्य वजह पर्यावरण में मौजूद हेवी मेटल्स हैं, चाहे प्रदूषित पानी हो, प्रदूषित हवा या मिट्टी हो। अभी तक हमें यह पता नहीं चल पाता था कि बीमारी की क्या वजह है। उन्होंने कहा कि एम्स में इलाज के लिए आने वाले ऐसे मरीज की बीमारी को लेकर अगर डॉक्टर को लगेगा कि बीमारी की वजह का पता लगाने के लिए इकोटॉक्सिकोलॉजी जांच होनी चाहिए तो वह मरीज को हमारे पास रेफर करेंगे। हम उनके ब्लड और यूरिन की जांच करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि ब्लड में किस प्रकार का टॉक्सिक है। इसके अलावा हम मरीज के घर का पानी मंगा कर जांच करेंगे, वो पानी जिसे वे पी रहे हैं, उसमें कहीं कोई हेवी मेटल्स तो नहीं है। आमतौर पर यह जांच नहीं हो पाती थी और मरीज की बीमारी का पता नहीं चल पाता था। लेकिन अब यह संभव हो पाएगा।